प्यार करता हूँ तुम्हे मेरी कमज़ोरी है, पर क्या करूँ जीने के लिए ज़रुरी है, हर डाल पर फूल खिले कोई ज़रुरी नहीं किसकी सारी उम्मीदें हुई पूरी है । . तेरे प्यार में हद से भी गुजर जाऊँ चाहे कुछ भी कहे ये ज़माना पर खुद की नज़रों में ना गिर जाऊँ मैं सच को कैसे मान लूँ सपना साँसें रोक भी लूँ तो कैसे रोकूँ दिल का धड़कना । . प्यार की डाली पे वफ़ा के फूल खिल ना सके तो क्या हुआ लाख चाह कर भी हम मिल ना सके तो क्या हुआ तेरी बातें,तेरा एहसास, तेरी याद तो है एक आस, एक दुआ ,एक फ़रियाद तो है जीने के लिए ये सहारे क्या कम होते है जिन्दगी में इसके सिवा भी कई गम होते हैं । Nishikant Tiwari