Skip to main content

खामोशी और बरसात की रात

रुक गई थी धरती रुक गया आसमान था,
रुके हुए थे हुम दोनो और रुका सारा जहान था,
ना रुकी थी तो बस यह खामोशी और यह बरसात ।

ऊपर नीला आसमान और आसमान मेम छाए काले बादल,
नीचे खड़े थे पेड़ के हम दोनो जाने किन ख्यालो में पागल,
एक विचित्र सी खामोशी थी फिर भी समा खामोश ना था,
बिजली कड़क रही थी , बादल गरज़ रहे थे,
हवाएँ गुनगुना रहीं थी फिर भी मैं चुप था,
ना बन पा रही थी बात बस होती जा रही थी बरसात ।

ये नज़रें बस नज़रों को देखती जाती थी,
शायद वह भी वही सोंच रही होगी जो मैं सोच रहा था,
कि ये लड़का कौन है कि ये लड़की कौन है,
पर मुझे तो इतना भी होश ना था कि मैं कौन हूँ,
हम दोनो अनज़ान थे फिर भी लग रहा था मानो वर्षो की पहचान हो,
जैसे वही मेरी जिन्दगी वही मेरी जान हो ।

सालो से ख्यालो मे आकर तंग जो करती रही है ,
आज सामने है और कुछ नही कर रही है ,

पता नही क्या बात है बस होती जा रही बरसात है ।

ईस अनजानी सी जगह पर जानी पहचानी खुशबु कैसी ,
शायद चंपा चमेली या मोंगरा की महक है ,

या फिर का नशा जो मुझे धिरे धिरे दीवाना बनाता जा रहा है ।

उसने मुझसे ओवर कोट माँगा ,मैं बोला क्यों तंग करती हो ,
(मेरा मतलब ख्यालों मे आकर तंग करने से था)
वह रुठ गई और मुँह फेर ली ,
काले बाल काले बादल और ये काली रात ,
मुझे जिन्दगी मे सब कुछ काला हीं काला नज़र आ रहा था ,
मेरे हाथ बढाते हीं वह अन्तर्ध्यान हो गई ।

वह बाहो से दूर जा सकती है निगाहो से दुर जा सकती है ,
पर दिल से दूर कैसे जाएगी,मैं जानता हूँ ,
वह फिर मेरे ख्यालो मे आकर मुझे रात भर जगाएगी ।

Nishikant Tiwari

Comments

Popular posts from this blog

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम ...
 Bewafai Hindi Poem - ना कोई प्यार , न कोई छलावा प्यार के हर रंग देखे मैंने पहले आँखों के टकराने से लेकर देह के टकराने तक और फिर विचारों के टकराने से लेकर पसंद के टकराने तक | उठना बैठना, खाना पीना, जागना सोना हर बात पे टोकना , प्यार हो भी सकता है पर वो प्यार जो उसे कभी था हीं नहीं सबको साबित करना चाहती है और इसी चक्कर में मज़ाक बन गईं है, प्यार की मीठी - मीठी बातें और तमाशा बन गया है हमारा रिश्ता जिसमें वो मदारी और मैं बन्दर बन नाच रहा !     उसने मुझे समझा, पढ़ा पर उपन्यास के पहले और आखरी पन्ने की तरह जो हमेशा खाली रहता है मैंने उसे चाहा पर उस मुट्ठी में बंद रेत की तरह जो धीरे धीरे कब मेरे हाथ से निकल गया पता हीं नहीं चला,मैं इसी गुमान में रहा कि वो मुझे खुद से भी ज्यादा प्रेम करती है प्रेम एक से नहीं सभी से करना चाहिए ऐसा उसने कहा था मुझे एक बार और उसके इस विचार से गर्वान्वित भी हुआ था कि कितनी सह्रदयी लड़की है पर अब वो प्रणय जिसे मैं परिणय की तरफ ले जाना चाहता था लोगों का परिहास, मेरा पागलपन और उसका पाखंड बन के रह गया है   नियत और नियति में फर्क होता है पर इ...

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत...