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Monday, August 13, 2007

पत्नी बनी सजनी

सजनी सजनी कहते कहते कितने लोग बुढाए,
ना मिले सजने कबहूँ पत्नी गले पड़ जाए,
तो सोंचे चलो पत्नी को हीं सजनी बनाए,
प्रिए चलो किसी अनजान सी जगह पर लड़का लड़की बन के रहेंगे ...


क़सम खा लो कुछ भी हो एक दुसरे को ना पति पत्नी कहेंगे,
मैं तुझ पर दाने डालूँगा चक्कर तुझसे चलाउँगा,
फ़साँ के तुमको प्यार के जाल में घर वापस लेकर आऊगाँ,
बोली-हे नाथ आप जो कहेंगे वही होगी बात ।....


एक दिन टाइट जिंस पहन कर जैसे हीं निकली बाज़ार,
सीटी मार के कितने आशिक पहुँच गए जताने प्यार,
कोई कहे चल मैं तुझे सोने-चाँदी से सजा दूँ,
तो कोई कहे चल मैं तुझे शहर घूमा दूँ,
किसी ने कहा दिल तोड़ ना मेरा मैं हूँ बदनसीब,
तो कोई कहे मैं सबसे हैंडसम हूँ आजा मेरे करीब ।....


पहले ने सोने सजाया तो दुसरे ने शहर घूमाया,
तीसरे की दिल की बातें,चौथे से इश्क लड़ाया,
पति हैरान परेशान खुद को बहुत समझाया,
पर एक दिन हाथ पकड़ कर आइ लव यू बोल हीं आया
सब समझे कि आवारा है कर दी खूब धुलाई,
हाथ पाँव सब सूझ गए पकड़ ली चारपाई ,
ईधर ऊसने जाने कितने रंग बदले क्या क्या गुल खिलाया,
एक दिन मोटर वाले के साथ भागते पाया .....


मेरी पत्नी भागी जा रही है,
पकड़ो उसे मेरे यारो मेरे हमदर्द,
सब ने पकड़ने के बजाए दो दो थप्पड़ मारे,
बोले कैसा है नामर्द,
नाक कटवा दी तूने,तूने कर दी हद ....


बीच सड़क बैठ पति हाय हाय चिल्लाया,
कि पिजड़े में बन्द चिड़िया को हमने उड़ाया,
आप सब ने देखा कि कितना पछताया,
तो दूसरी तीसरी चौथी शादी रचाए,
पर कभी पत्नी को सजनी ना बनाए,
क्योंकि सजनी सजनी कहते कहते कितने लोग बुढाए,
ना मिले सजनी फिर भी पत्नी भी हाथ से जाए ।...


Nishikant Tiwari

2 comments:

  1. sab faltu ki poems hain koi achchi nahin

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  2. Tum faaltu ke ho.itna hi hai to khud kyon nahi likhte koi aisi achhi poem,best poem hai,hasaane wali

    ReplyDelete

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