बड़ी खुबसुरत लगती हो , लगती रहो,
दिल जलाने के लिए दीवानों का यूँ हीं सजती सँवरती रहो,
वो दिन कभी तो आएगा जब मुझ पर भी ईनायत होगी,
यूँ हीं झूमती जवानी की मस्ती में रहो ।
प्यार की कोई मुरत कोई तस्वीर हो तुम,
लगता है जैसे मेरी तकदीर हो तुम,
मेरा दिल कबसे तेरे प्यार को प्यासा है,
बन के घटा मेरे आँगन में बरसती रहो ।
संकोच करता हूँ बस यही मजबूरी है,
वह भी डरती है,तभी तो दूरी है,
प्यार इतना दूँगा जितना सागर मे पानी ना होगा,
शर्त यह है कि बन के परी दिल के कस्ती में रहो ।
इतना ना आजमाओ की आजमाइश की चीज बन जाओ,
सब तुम्हें देखे तुम नुमाइश की चीज बन जाओ,
ऐसा ना हो कि ये दिन तुम पर हँसते हुए निकल जाएँ,
और तुम तड़पती यादो की बसती में रहो ।
Nishikant Tiwari
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