एक दिन बोला मच्छर,
पढ लिख मैं भी हो गया हूँ साछर,
तूने बहुत मस्ती की है, बहुत खुन बनाया है,
अब मैं मौज़ करूँगा, तू बैठा रह मै तेरा खून पिऊँगा
मैं बोला-अबे मच्छर हो कर मेरा खून पिएगा,
ये तो हमारे हिन्दी फिल्मों के बड़े बड़े हिरो किया करते है,
गाना गाकर खून पीने का मेरा उनीक तरीका है,
अरे उन सब चेलो ने तो मुझसे ही सीखा है
अपने औकात मेम रह , मच्छर होकर मुझसे जबान लड़ाता है,
मुझे औकात सीखाता है , जानता नही यह मच्छरो का देश है,
यहाँ एक एक आदमी पर सै सौ मच्छर नज़र आता है,
इतने गोली बन्दूक चलते है,पर भला कोई मच्छर भी कभी मरता है,
मरते हो तुम सब वह भी कुत्ते की मौत,
मच्छर तो क्वाइल पर भी डांस किया करता है
मच्छरजी महाराज मुझे माफ़ कीजिए,
बदले में चाहे जितना खून साफ़ कीजिए,
खून पीकर बोला मच्छर,
थू यह तो बासी है,
जरूर तू भी औरो का खून पीता है तभी तो फूल होकर गया हाथी है,
ये तूम क्या बक रहे हो, लगता है आजकल मुँह नही धो रहे हो
तुम्हे मालूम होना चाहिए मच्छरो के दाँत नही हुआ करते है,
मुँह के गन्दे तो ईन्सान है तभी सुबह शाम ब्रश किया करते है,
सुनो इस बार मैं चुनाव में खड़ा हो रहा हूँ,
बस मलेरिया छाप पर ही मुहर लगाना,
नही तो सुढ घोप सारा खून चूस लूँगा,
फिर पड़ेगा जिन्दगी भर पछताना
अच्छा अब यह मेरे आरम का वक्त है हम अभी चलते है,
दिन भर आराम करो फिर रात को मिलते है ।...
Nishikant Tiwari
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