प्यार करता हूँ तुम्हे मेरी कमज़ोरी है,
पर क्या करूँ जीने के लिए ज़रुरी है,
हर डाल पर फूल खिले कोई ज़रुरी नहीं
किसकी सारी उम्मीदें हुई पूरी है ।
.
तेरे प्यार में हद से भी गुजर जाऊँ
चाहे कुछ भी कहे ये ज़माना
पर खुद की नज़रों में ना गिर जाऊँ
मैं सच को कैसे मान लूँ सपना
साँसें रोक भी लूँ तो कैसे रोकूँ दिल का धड़कना ।
.
प्यार की डाली पे वफ़ा के फूल खिल ना सके तो क्या हुआ
लाख चाह कर भी हम मिल ना सके तो क्या हुआ
तेरी बातें,तेरा एहसास, तेरी याद तो है
एक आस, एक दुआ ,एक फ़रियाद तो है
जीने के लिए ये सहारे क्या कम होते है
जिन्दगी में इसके सिवा भी कई गम होते हैं ।
Nishikant Tiwari
निशिकांत जी शुक्रिया
ReplyDeleteसही बात है सारे सपने सच नहीं होते फिर भी जिन्दगी चलती रहती है. लिखते रहें ...
ReplyDeleteतेरी बातें, तेरा एहसास, तेरी याद तो है
ReplyDeleteएक आस, एक दुआ, एक फ़रियाद तो है...
कविता मे दम है, उससे ज्यादा भावनाओं में दम है।
bahut badhiyaa
ReplyDeletedeepak bharatdeep
"जीने के लिए ये सहारे क्या कम होते है
ReplyDeleteजिन्दगी में इसके सिवा भी कई गम होते हैं ।"
सशक्त अभिव्यक्ति है -- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
तिवारी जी, मेरे ब्लाग पर आने के लिये शुक्रिया...अच्छी कवित लिखते हैं, लिखए रहें!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया तिवारी जी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया. ज़्यादा ख़ुशी की बात ये है कि आप इतना नियमित रूप से इतना बढ़िया लिखते हैं. टिप्पणियों की गिनती पर ग़ौर किए बिना लिखते रहें.
ReplyDeleteaap bahut accha likhte hai..keep on writing..shuchi awasthi, bhopal
ReplyDelete