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Thursday, August 16, 2007

वाह रे होली



भांग की गोली खाए है सब के सब बौराए है,
अपने गालों को खुद रगड़े ,
कहे कि उनसे रंग लगवाएँ है,
कुछ भूत बने कुछ कीचड़ में नहाए है,
पगला पगला कहे एक दुसरे को,
खुद हीं सब पगलाए है ।
.
उठा पटक, हो जाए गारा-गारी,
अकेला है फेको नाले में,
बाद में हो चाहे मारा मारी,
फोड़ दो शीशे सभी घरो के,
घूस जाओ जो ना निकले बाहर,
कर दो ऐसा धूम धड़ाका,
घर हो जाए नरक से बदतर ।
.
सबके मुँह में पेंट पोतो ,
पिलाओ ज़बरदस्ती भाँग शराब,
दो दिन तक घर ना पहुँचे
हालत हो जाए इतनी खराब
छिन लो सारे रंग बच्चों से,
कर दो खूब पिटाई
रंग दो उन सभी घरों को,
हुई जिनकी नई पुताई।
.
अबीर के समय में भी रंग फेको,
खराब कर दो नया कपड़ा,
लाउड स्पीकर इतना तेज बजाओ,
कि फट जाए कान का चदड़ा,
इससे भी ना मन भरे,
तो मार दो किसी को गोली,
कोई बुरा कैसे मानेगा,
अरे आज तो है होली !!!


Nishikant Tiwari

2 comments:

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