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Wednesday, September 19, 2007

झाँकी हिन्दुस्तान की

सर पर जूता पाँव में टोपी,
खोपड़ी ऊलटी हर जवान की,
सफेदपोश में काला काम करे हम,
नीयत हर बेईमान की,
माता-पिता बेघर हुए,
बेटा रुप धरा शैतान की,
कदम कदम पर चोर लुच्चके,
ये झाँकी हिन्दुस्तान की ।
.
हर साधु में चोर बसा है,
बस नज़र चाहिए पहचान की,
मित्र बन चल दिखाए,
शराबे समा हैवान की,
शैतानों की भीड़ लगी है,
सुरत दिखे नहीं इन्सान की,
ये झाँकी हिन्दुस्तान की ।
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नगर पालिका की गाड़ी नहीं,
किस्मत कचड़ा बनी हर कदरदान की,
सच के मुँह पर ताला पड़ा,
झुठे कौवे शान बढाए न्यायिक संस्थान की,
पाड़ा भी अब पण्डित बना,
बात सुनाए वेद पुराण की,
ये झाँकी हिन्दुस्तान की ।
.
नेताजी सब नर्तक बने,
खिंची टाँग हर सुर गान की,
पठन पाठन संग प्रेम की शिक्षा ,
नीति हर विद्वान की,
अब याद आए कैसे मुझे मुस्कान की,
जब ऐसी झाँकी हिन्दुस्तान की,
जब ऐसी झाँकी हिन्दुस्तान की ।


Nishikant Tiwari

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