Skip to main content

टकला


रमेश भाई को जब तक हुए बाल बच्चे,
उन्के सर के एक भी बाल नही बचे,
कुछ बच्चे उन्हे टकला टकला कह कर चिढाते,
तो कुछ सर पे मार के भाग जाते ।

सारे मुहल्ले मे किस्सा मश्हुर था,
कि इन्के बाल यो ही नही उङॆ बल्की ऊङाए गये है,
बेचारे पत्नी द्वारा बहुत सताए गये है,
घर मे बीबी की डाट पडती,
दफ़्तर मे बॉस देता धमकी,
तुमसे मेरी बर्षॊ पुरानी यारी है,
वर्ना काम मांगाने वालो मे आधी लड़किय़ाँ कुवाँरी है ।

जब दाढी बनवाने सैलून जाते ,नाई भी ईन पर चिल्लाते,
ससुरजी भी कहते कि अगर तू शादी के पहले टकला हो जाता,
तो हमारे दहेज़ का खर्चा बच जाता,
जब वो बच्चो को स्कुल छोड़ने जाते ,
बच्चे ईन्हे अपना नौकर बताते,
भाई आज के फैशन और खुबसुरती के ज़माने मे गंजा होना श्राप है,
अब बच्चे कैसे बताँए कि टकला उन्का बाप है ।

एक सामाजिक संस्था तो यँहा तक कहती है,
हर टकले को शादी करने से रोका जाए ,
कहीं ऐसा ना हो यह बिमारी पीढी दर पीढी फैलते फैलते,
सारा संसार टकला हो जाये ।

ऊधर एक फिलोसोफर का कहना है ,
जिन्की सोंच गिरी हुई होती है उन्के बाल जल्दी गिर जाते है,
ऐसे पतीतो को गोली मार देनी चाहिये ,
मुझे आशचर्य है वे खुद शर्म से क्यों नही मर जाते है ।

एक बडा खुशनसीब नौजवान था मतवाला ,
सर पे थे सुन्दर बाल , साथ में सुन्दर बाला,
देख कर जोड़ी रमेश भाई ऐसे खो गये,
जैसे चलते चलते हीं सो गये,
जब बाला के बालों ने गुदगुदी मचाया,
खुद को लड़की से लिपटे पाया,
नौजवान बोला-अबे टकला हो कर लाईन मारता है,
क्यों टकला होना क्या अपराध है,
लगता है आज हीं गंजे तेरा होने वाला श्राध है ।

ईस पर रमेश भाई के खून में भी गर्मी आई,
बोले-अबे ओ खरबुजे,चुहिया के साथ नाच रहे चूजे,
भगवान करे तूझे कैंसर हो,तूझे कोढ हो जाये,
तेरे घर में आग लगे ,तूझ पर आतंकवादी का हमला हो जाए,
तू तबेले में जाकर मरे,
बच्चे तेरे सर पे तबला बजाएँ ,
जा मैं तुझे श्राप देता हूँ,
जल्द हीं तू भी मेरी तरह टकला हो जाए !!!!

Nishikant tiwari

Comments

  1. good comedy , a very different and interesting one

    ReplyDelete
  2. Hy, its really a smart work!!!
    get going.....

    ReplyDelete
  3. Poem speaks the bitter truth in a jolly way!!!!
    smart work!
    Get Going.....

    ReplyDelete
  4. i like your way of thinking and i hope that you will go very high in your life good going

    ReplyDelete
  5. good one , check how my composition is http://mayank13786.blogspot.com

    ReplyDelete
  6. शुभ प्रभात
    सुबह एक मुस्कान आ जाए
    तो पूरा दिन गमनीन नहीं रहता
    हिन्दी में उच्चारण की बड़ी महत्ता है
    आप कृपया ध्यान रखें,
    सादर

    ReplyDelete
  7. वाह ... बहुत खूब ।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम ...
 Bewafai Hindi Poem - ना कोई प्यार , न कोई छलावा प्यार के हर रंग देखे मैंने पहले आँखों के टकराने से लेकर देह के टकराने तक और फिर विचारों के टकराने से लेकर पसंद के टकराने तक | उठना बैठना, खाना पीना, जागना सोना हर बात पे टोकना , प्यार हो भी सकता है पर वो प्यार जो उसे कभी था हीं नहीं सबको साबित करना चाहती है और इसी चक्कर में मज़ाक बन गईं है, प्यार की मीठी - मीठी बातें और तमाशा बन गया है हमारा रिश्ता जिसमें वो मदारी और मैं बन्दर बन नाच रहा !     उसने मुझे समझा, पढ़ा पर उपन्यास के पहले और आखरी पन्ने की तरह जो हमेशा खाली रहता है मैंने उसे चाहा पर उस मुट्ठी में बंद रेत की तरह जो धीरे धीरे कब मेरे हाथ से निकल गया पता हीं नहीं चला,मैं इसी गुमान में रहा कि वो मुझे खुद से भी ज्यादा प्रेम करती है प्रेम एक से नहीं सभी से करना चाहिए ऐसा उसने कहा था मुझे एक बार और उसके इस विचार से गर्वान्वित भी हुआ था कि कितनी सह्रदयी लड़की है पर अब वो प्रणय जिसे मैं परिणय की तरफ ले जाना चाहता था लोगों का परिहास, मेरा पागलपन और उसका पाखंड बन के रह गया है   नियत और नियति में फर्क होता है पर इ...

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत...