Skip to main content

tum jo mil gayi ho

mere samne baithi ho tum nahi ho raha hai yakin ,
bahon me bher lo mujhe pagal na ho jaaun kahi ,
kal jo nigahe milane se bhi derti thi ,
aaj bateien ker rahi hai kitni itminaan se ,
ab tum jo mujhe mil gayi ho mujhe aur kya chaahiye is jahan se !

tum bhi mujh per marte the mujhko nahi tha pata ,
samjhi magar der se , isme hai meri khata ,
tum chahe jo bhi saja do ,
hus ker gujar jaaongi mai her intihaan se ,
ab tum jo mujhe mil gaye ho mujhe aur kya is jahan se !

bahar aye ya jaye mujhe gam nahi ,
meri jaan tum khud kisi bahar se kam nahi ,
tum jab bhi hasti ho aisa lagata hai ,
jaise phool barasne lage ho asmaan se ,
ab tum jo mujhe mil gayi ho mujhe aur kya is jahan se !

apsra mujhe kahte ho , kahte ho mujhko pari ,
ek baar fir soch lo kahi ye dokha to nahi ,
taarif na meri itni kijiye ki ,
mai khud janle lagoo apni jaan se ,
ab tum jo mujhe mil gaye ho mujhe aur chahiye is jahan se !

agar dokha ho itna hasin ,
fir mujhe zamane ki parwah nahi ,
are pyaar me to hota yahi hai ,
aag lagti yaha pe to dhuan uthta waha se ,
ab tum jo mujhe mil gayi ho mujhe aur kya chahiye is jahan se !

Nishikant tiwari

Entertainment blogs

Top Blogs

Poem Blogs - BlogCatalog Blog Directory
BlogCatalog Blog Directory
Blogs DirectoryBuzzer Hut Promote Your Blog

website promotion

Comments

Popular posts from this blog

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है

उसकी आँखों में कितना प्यार कितनी सच्चाई दिखती मेरी कितनी चिंता थी, कितना ख्याल रखती जुदा होने की सोच के कैसे घबरा जाती ऐसे गले लगती कि मुझमे समा जाती उसके प्यार रस में भीग, लगता सब सही है कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | कितने साल महीने हर पल उस पर मरते रहे अपनी खुशनसीबी समझ सब सहते रहे, सब करते रहे हृदय की हर धड़कन उसका नाम पुकारा करती थी जान हथेली पे ले दौड़ जाते जो एक इशारा करती थी हामारे तो दिल में आज भी ज़ज्बात वही है कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | कहती कि बात किये बिना नींद नहीं है आती अब क्या हो गया कि मेरा फोन नहीं उठती ? सोच के है दम घुटता , साँसे रुकती है निर्लज इन आँखों से गंगा जमुना बहती है जितना मैं तड़प रहा, क्या मरता हर कोई है ? कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | जानू तुम ना मिले तो मर जाउंगी ज़हर खाके अब किसी और संग पिज़ा खाती है कुर्सियां सटाके पैर पे पैर रख केर घंटो बातें होतीं हैं क्या सच में लड़कियां इतनी निर्दयी होती हैं ? क्यों वो मेरे साथ ऐसा कर रही है ? कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | जब तक था उसे प्यार, लगता बस मेरे लिए बनी है अचान