Skip to main content

ghadi dekh ker...

jab mai paida hua log kush hone se pahle bhagee samay note ghadi dekh ker ,
roz pitaji uthte ghadi dekh ker ,
chai pite ghadi dekh ker,
nahane jaate to ghadi dekh ker ,
office bhi jaate to ghadi dekh ker ,
roz mummi bolti ter pitaji abhi tak nahi ayee ghadi dekh ker ,
pitaji gher aate gadhi dekh ker ,
samachar sunte ghadi dekh ker ,
khana khate ghadi dekh ker ,
aur sone bhi jaate to ghadi dekh ker !!!!!!!!!


jab mai toda bada hua roz school jaane laga ghadi dekh ker ,
lunch aur chhutti bhi hoti to ghadi dekh ker ,
ek din gher der se pahucha to maa boli itni der kaha laga di ghadi dekh ker ,
mai bola jab mere pass ghadi hi nahi hai to gher kaise aawoon ghadi dekh ker ,
mil gayi mujhe ek nai ghadi ,
sabhi kush hote the dekh ker mujhko ghadi-ghadi ,
per kush hota bhi tha to ghadi dekh ker !!!!!!!!!

bada ho ker roz interview dene jaya keta tha ghadi dekh ker ,
aur naukri mili bhi to mujhe aati jaati train ki suchi banani thi ghadi dekh ker ,
meri shadi ki baat chalayi gayi subh ghadi dekh ker ,
aur jab mandap me baitha to panditji bole teri shadi bhi suru hogi ghadi dekh ker
meri patni ko nahi aati thi dekhne ghadi ,
phir paresaan kaise hoti ghadi dekh ker ,
ghadi ghadi mai bechain rahata tha ,
aur bechain hojata tha ghadi dekh ker !!!!!!!!

ek din film dekhne bhi gaya to karmchari bola ,
show ab suru hi hoga ghadi dekh ker ,
ghadi dekhte dekhte mera ser ghadi sa ghoomne laga ,
bimar pada doctor ke pas gaya ,
docter ne nabz pakdi fir bola appko bukhar hai ghadi dekh ker ,
her do ghante per dawa khaaiyega ghadi dekh ker ,
ab bhala jis karan bimar pada ,
thik kaise ho sakta tha ose dekh ker ,
sab kahne lage iske marne ka time aa gaya hai ,
aur sachh hi hai aaj mer bhi raha hu to ghadi dekh ker !!!!!!!!


Nishikant tiwari

Comments

  1. amaa lagta hai tumne ye poem bhi ghadi dekh kar hi likhi thi

    aur main ye comment bhi ghadi dekh kar hi post kar raha hoon........

    hahahhahaha......... :)


    panchdev singh

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत

कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है

उसकी आँखों में कितना प्यार कितनी सच्चाई दिखती मेरी कितनी चिंता थी, कितना ख्याल रखती जुदा होने की सोच के कैसे घबरा जाती ऐसे गले लगती कि मुझमे समा जाती उसके प्यार रस में भीग, लगता सब सही है कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | कितने साल महीने हर पल उस पर मरते रहे अपनी खुशनसीबी समझ सब सहते रहे, सब करते रहे हृदय की हर धड़कन उसका नाम पुकारा करती थी जान हथेली पे ले दौड़ जाते जो एक इशारा करती थी हामारे तो दिल में आज भी ज़ज्बात वही है कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | कहती कि बात किये बिना नींद नहीं है आती अब क्या हो गया कि मेरा फोन नहीं उठती ? सोच के है दम घुटता , साँसे रुकती है निर्लज इन आँखों से गंगा जमुना बहती है जितना मैं तड़प रहा, क्या मरता हर कोई है ? कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | जानू तुम ना मिले तो मर जाउंगी ज़हर खाके अब किसी और संग पिज़ा खाती है कुर्सियां सटाके पैर पे पैर रख केर घंटो बातें होतीं हैं क्या सच में लड़कियां इतनी निर्दयी होती हैं ? क्यों वो मेरे साथ ऐसा कर रही है ? कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है | जब तक था उसे प्यार, लगता बस मेरे लिए बनी है अचान