उसकी आँखों में कितना प्यार कितनी सच्चाई दिखती
मेरी कितनी चिंता थी, कितना ख्याल रखती
जुदा होने की सोच के कैसे घबरा जाती
ऐसे गले लगती कि मुझमे समा जाती
उसके प्यार रस में भीग, लगता सब सही है
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
कितने साल महीने हर पल उस पर मरते रहे
अपनी खुशनसीबी समझ सब सहते रहे, सब करते रहे
हृदय की हर धड़कन उसका नाम पुकारा करती थी
जान हथेली पे ले दौड़ जाते जो एक इशारा करती थी
हामारे तो दिल में आज भी ज़ज्बात वही है
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
कहती कि बात किये बिना नींद नहीं है आती
अब क्या हो गया कि मेरा फोन नहीं उठती ?
सोच के है दम घुटता , साँसे रुकती है
निर्लज इन आँखों से गंगा जमुना बहती है
जितना मैं तड़प रहा, क्या मरता हर कोई है ?
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
जानू तुम ना मिले तो मर जाउंगी ज़हर खाके
अब किसी और संग पिज़ा खाती है कुर्सियां सटाके
पैर पे पैर रख केर घंटो बातें होतीं हैं
क्या सच में लड़कियां इतनी निर्दयी होती हैं ?
क्यों वो मेरे साथ ऐसा कर रही है ?
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
जब तक था उसे प्यार, लगता बस मेरे लिए बनी है
अचानक कैसे बादल गई, नहीं होता यकीं है
प्यार को तो कब का दफना दिया, आती नहीं दया भी
न आँखों में कुछ शर्म है कि तुमने है कुछ किया भी
नफरत तुमसे फिर भी इस जन्म में मुमकिन नहीं है
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
Nishikant Tiwari - Hindi love poem (bewafai)
मेरी कितनी चिंता थी, कितना ख्याल रखती
जुदा होने की सोच के कैसे घबरा जाती
ऐसे गले लगती कि मुझमे समा जाती
उसके प्यार रस में भीग, लगता सब सही है
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
कितने साल महीने हर पल उस पर मरते रहे
अपनी खुशनसीबी समझ सब सहते रहे, सब करते रहे
हृदय की हर धड़कन उसका नाम पुकारा करती थी
जान हथेली पे ले दौड़ जाते जो एक इशारा करती थी
हामारे तो दिल में आज भी ज़ज्बात वही है
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
कहती कि बात किये बिना नींद नहीं है आती
अब क्या हो गया कि मेरा फोन नहीं उठती ?
सोच के है दम घुटता , साँसे रुकती है
निर्लज इन आँखों से गंगा जमुना बहती है
जितना मैं तड़प रहा, क्या मरता हर कोई है ?
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
जानू तुम ना मिले तो मर जाउंगी ज़हर खाके
अब किसी और संग पिज़ा खाती है कुर्सियां सटाके
पैर पे पैर रख केर घंटो बातें होतीं हैं
क्या सच में लड़कियां इतनी निर्दयी होती हैं ?
क्यों वो मेरे साथ ऐसा कर रही है ?
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
जब तक था उसे प्यार, लगता बस मेरे लिए बनी है
अचानक कैसे बादल गई, नहीं होता यकीं है
प्यार को तो कब का दफना दिया, आती नहीं दया भी
न आँखों में कुछ शर्म है कि तुमने है कुछ किया भी
नफरत तुमसे फिर भी इस जन्म में मुमकिन नहीं है
कल तक था उसे प्यार, आज नहीं है |
Nishikant Tiwari - Hindi love poem (bewafai)
i know who is she .... sad.
ReplyDeletepranob gorain
very nice poem
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeleteGud One
ReplyDeleteKamAl hai
ReplyDeleteनिशीकांत जी आपने बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है एक दम सही व ह्रदय को छू लेने वाली। आप ऐसी ही कविताएं हिंदी में बहुत ही आसान तरीके से शब्दनगरी पर भी लिख सकते हैं वहां पर भी प्रेम क्या है?
ReplyDeleteजैसी रचनाएं पढ़ व लिख सकते हैं ।
very informative post for me as I am always looking for new content that can help me and my knowledge grow better.
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