Skip to main content

चाहत के मारो को बस तन्हाई मिलती है

लहराती हो जब आँचल तो पेड़ झूमते हैं
छुप छुप के देखते हम पेड़ो को चूमते हैं
उन्हें पहली बार देखते हीं  मर गये थे
खुद को रोग कैसा लगाकर उस दिन घर गए थे
नींद में हैं मुस्कुराते, जागते हुए रोते है
पागलपन को अपने मोहब्बत का नाम देते हैं
खुद की लगाई आग में हर पल ये काया जलती है
चाहत के मारो को बस तन्हाई मिलती है |

जाने तेरा सजना सितम है या करम है
चाहती है मुझको सबको यही भरम है
माना  की वो मेरे बारे में बातें करती है
मतलब ये तो नही कि  मुझपे मरती है
हाँ उसने भी कभी देख मुझे मुस्कुराया था
पर मैं खुद हीं तो अपना दिल हार आया था
अब एक हारे हुए को तो जग हंसाई मिलती है
चाहत के मारो को बस तन्हाई मिलती है |

उसकी बेरुखी को कैसे बेवफाई का नाम दे दें
खुद गलतियाँ करके कैसे इल्जाम दे दें
क्यों नहीं दोस्तों की बात मानता हूँ
धुप में जलता उसकी गली की खाक छानता हूँ
पढाई मेरी दिन भर चाय की दुकान पर चलती है
जाती है कहाँ वो,किस्से मिलती है
हर शाम अब तो मेरी ऐसे हीं ढलती है
चाहत के मारो को बस तन्हाई मिलती है |

Nishikant Tiwari - Hindi Love Poem 

Comments

  1. Feelings expressed in beautiful way. Amazing poem.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम ...
 Bewafai Hindi Poem - ना कोई प्यार , न कोई छलावा प्यार के हर रंग देखे मैंने पहले आँखों के टकराने से लेकर देह के टकराने तक और फिर विचारों के टकराने से लेकर पसंद के टकराने तक | उठना बैठना, खाना पीना, जागना सोना हर बात पे टोकना , प्यार हो भी सकता है पर वो प्यार जो उसे कभी था हीं नहीं सबको साबित करना चाहती है और इसी चक्कर में मज़ाक बन गईं है, प्यार की मीठी - मीठी बातें और तमाशा बन गया है हमारा रिश्ता जिसमें वो मदारी और मैं बन्दर बन नाच रहा !     उसने मुझे समझा, पढ़ा पर उपन्यास के पहले और आखरी पन्ने की तरह जो हमेशा खाली रहता है मैंने उसे चाहा पर उस मुट्ठी में बंद रेत की तरह जो धीरे धीरे कब मेरे हाथ से निकल गया पता हीं नहीं चला,मैं इसी गुमान में रहा कि वो मुझे खुद से भी ज्यादा प्रेम करती है प्रेम एक से नहीं सभी से करना चाहिए ऐसा उसने कहा था मुझे एक बार और उसके इस विचार से गर्वान्वित भी हुआ था कि कितनी सह्रदयी लड़की है पर अब वो प्रणय जिसे मैं परिणय की तरफ ले जाना चाहता था लोगों का परिहास, मेरा पागलपन और उसका पाखंड बन के रह गया है   नियत और नियति में फर्क होता है पर इ...

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत...