तुम मिले तो दिल मिले
नाच रहे है बल्ले बल्ले
जश्न मनाये आओ खाए मिल रसगुल्ले ।
जी जान से मुझपे मरती है
पर शक भी कितना करती है
जिसे समझ रही जलेबी असल में इमरती है ।
जिंदगी के सौ जंजाल सौ बखेड़े
रास्ते है कठिन टेढ़े मेढ़े
ऐसे में तेरे बोल लगते मथुरा के पेड़े ।
मुस्कुरा रही मंद मंद है
क्या कोई लल्लू आ गया पसंद है ?
या चुपके चुपके खा रही कलाकंद है |
आँख मेरी फिर भर आई
तूने जो की मुझसे बेवफाई
अकेले अकेले खा रही रसमलाई !
कंगले है सब,बस एक वही अमीर है
जिसकी ऐसी तक़दीर है
कि खाई तेरे हाथ की खीर है ।
खुशामद कितनी करू, क्या चाटू तलवा ?
कहा तो तू लड़की नहीं जलवा है जलवा
अब तो बता दे कहाँ छुपा रखा गाजर का हलवा !
बात मेरी कभी तो लो तुम सुन
लाए गुलाब, क्या करूँ मैं इससे दातुन ?
इससे तो अच्छा ले आते गुलाब जामुन ।
ना कोई गलती या बात बड़ी है
नाराज़ है ,आज फिर मुझपे बिगड़ी है
लाये माल पुआ ऊपर नहीं रबड़ी है ।
समझ रहा था इसको बुद्धू
झाँसे में आ गया रे गुड्डू
बहला फुसला के छीन ली मोतीचूर लड्डू ।
जान मेरी तू लाखो में एक है
जितनी सुन्दर दिल उतना ही नेक है
क्या कहूँ डोडा बर्फी या मिल्क केक है ।
उसे कातिल कहूँ या काजू कतली
गुजरिया है खोया गुजिया
बबुनिया मीठी जस बुनिया ।
मादक बड़ा ये मोदक है
मलाई है, लोग कहतें हैं माल आई है
सोहन हलवा है , उसके आते ही सब हल हुआ है।
एक दिन बोली, सुनो मेरे सोनू मेरे हमदम
आती है शरम फिर भी कहते है हम
तुम मेरे बालूशाही और मैं तेरी चम् चम् ।
शादी को हाँ कह दी कि आएगा बहुत मज़ा
बारात सजेगी,धूम मचेगी , बजेगा बैंड बाजा
सज के आयेंगे दुल्हे राजा साथ में सिलाव खाजा !!!!!!
By Nishikant Tiwari - Meethi Haasya Kavita
नाच रहे है बल्ले बल्ले
जश्न मनाये आओ खाए मिल रसगुल्ले ।
जी जान से मुझपे मरती है
पर शक भी कितना करती है
जिसे समझ रही जलेबी असल में इमरती है ।
जिंदगी के सौ जंजाल सौ बखेड़े
रास्ते है कठिन टेढ़े मेढ़े
ऐसे में तेरे बोल लगते मथुरा के पेड़े ।
मुस्कुरा रही मंद मंद है
क्या कोई लल्लू आ गया पसंद है ?
या चुपके चुपके खा रही कलाकंद है |
आँख मेरी फिर भर आई
तूने जो की मुझसे बेवफाई
अकेले अकेले खा रही रसमलाई !
कंगले है सब,बस एक वही अमीर है
जिसकी ऐसी तक़दीर है
कि खाई तेरे हाथ की खीर है ।
खुशामद कितनी करू, क्या चाटू तलवा ?
कहा तो तू लड़की नहीं जलवा है जलवा
अब तो बता दे कहाँ छुपा रखा गाजर का हलवा !
बात मेरी कभी तो लो तुम सुन
लाए गुलाब, क्या करूँ मैं इससे दातुन ?
इससे तो अच्छा ले आते गुलाब जामुन ।
ना कोई गलती या बात बड़ी है
नाराज़ है ,आज फिर मुझपे बिगड़ी है
लाये माल पुआ ऊपर नहीं रबड़ी है ।
समझ रहा था इसको बुद्धू
झाँसे में आ गया रे गुड्डू
बहला फुसला के छीन ली मोतीचूर लड्डू ।
जान मेरी तू लाखो में एक है
जितनी सुन्दर दिल उतना ही नेक है
क्या कहूँ डोडा बर्फी या मिल्क केक है ।
उसे कातिल कहूँ या काजू कतली
गुजरिया है खोया गुजिया
बबुनिया मीठी जस बुनिया ।
मादक बड़ा ये मोदक है
मलाई है, लोग कहतें हैं माल आई है
सोहन हलवा है , उसके आते ही सब हल हुआ है।
एक दिन बोली, सुनो मेरे सोनू मेरे हमदम
आती है शरम फिर भी कहते है हम
तुम मेरे बालूशाही और मैं तेरी चम् चम् ।
शादी को हाँ कह दी कि आएगा बहुत मज़ा
बारात सजेगी,धूम मचेगी , बजेगा बैंड बाजा
सज के आयेंगे दुल्हे राजा साथ में सिलाव खाजा !!!!!!
By Nishikant Tiwari - Meethi Haasya Kavita
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