कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा
१. वेरी गुड आईडिया
२. गुड आईडिया
३. नोट अ बैड आईडिया
४. नोट अ आईडिया एट ऑल
साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत सुंदर थी दूसरी बहुत मोटी |इस प्रकार के नाम कारन की आवश्यकता इस लिए पड़ी क्योंकि हमें किसी का नाम पता नहीं था |गुणों के हिसाब से नाम रखने पर याद करने में आसानी होती थी |इससे एक और लाभ यह था कि सामने वाले को मालुम नहीं चल पता था कि आप किसकी बात कर रहे है |
मेरे सीट के तीन चार पंक्ति पीछे एक सीधी सादी लड़की बैठती थी |नाम तो उसका पता नहीं था सो हम उसे नोट अ बैड आईडिया कहा करते थे |काफी दिनों के बाद पता चला कि उसका नाम पायल है | पायल और घायल कितना मिलता जुलता है और मेरे जैसा सड़क छाप कवि अगर शब्दों के जाल बुनकर उसमें ना उलझे तो कवि कैसा ?
देर से हीं सही पर घायल होना हीं था | ऑफिस में इतनी सारी लडकियां थी पर मुझे वो हीं पसंद क्यों आई ये सवाल बार बार तंग करता | मंथन करने पर भीतर से उत्तर आया कि मुझे एक ऐसी लड़की चाहिए जो सुंदर होने के साथ साथ कोमल ह्रदय वाली हो और बुद्धिमान होते हुवे भी भोली हो | जिसकी आँखों में शर्म हो व अपने देश कि संस्कृति झलके |मैं नहीं जानता पायल कितनी समझदार थी या सह्रिदयनि थी पर उसकी अंकों में वो लज्जा थी जिसकी मुझे तलाश थी |उसका चल चलन बात ब्योहार एक विशिष्ट शालीनता समेटे हुवे था |
पहले उसमे मेरी बहुत रूचि नहीं थी हमें दोपहर के खाने के लिए बसेमेंट में लाइन लगाना पड़ता था |अक्सर वो एक दो लोगों के आगे या पीछे लगती |कभी कभी एक दुसरे पर नज़रें पड़ जातीं पर हमारे दर्शन में सहजता रहती कोई विशेष बात नहीं |एक दिन मैं ऑफिस के बाहर किसी का इंतज़ार कर रहा था पास में हीं पायल भी किसी का इंतज़ार कर रही थी |शायद किस्मत को इसी घड़ी का इंतज़ार था |हम मौन होकर भी बातें कर रहे थे | मैं खुद को उसके इतना पास महसूस कर रहा था कि उसकी आँखों की शीतलता मन में कप कपी पैदा कर रही थी | कुछ दिनों के बाद जब मैं अपने दोस्तों के साथ दोपहर का भोजन कर रहा था तभी ध्यान दिया कि पायल एक लड़के के आड़ में जो कि उसके साथ खाना खा रहा था मुझे घूर रही है |अचानक उस लड़के ने अपना सर पीछे किया और हमारी नज़रें टकरा गयीं |उसने ना नज़रें हटाई ना नीची कीं |एक टक घूरते हुवे मुस्कुरा दी | मैंने शर्म से आँखे नीची कर ली | हम लड़के तो कत्ल होने के लिए तैयार बैठे रहते है | उधर नज़रों का तीर चला नहीं की हम घायल होकर आंहे भरने लगते है |
अगले दिन जब मैं बसेमेंट से नास्ता करके उपर आ रहा था कि कुछ साथी मिल गए और मैं हंसी के गोले दागने लगा जिससे पूरा बसेमेंट गुंजयमान हो उठा |मैं हँसता हुआ सीढियां चढ़ रहा था कि पायल उतरती हुई दिख गयी |मुझे देख कर हंसी और दौड़ती हुई नीचे उतर गयी |उसकी हंसी ने मन में एक उत्सुकता जगा दी | मैं बार बार अपनी सीट से पीछे मुड़कर देखता कि कहीं वो मुझे देख तो नहीं रही है और एक दो बार तो ऐसा करते हुवे पकड़ भी लिया तब से रोज़ पुरे दिन यही सिलसिला चलता रहता |कभी वो छुप छुप के देखती कभी मैं |सारा दिन कभी पानी पिने के बहाने कभी चाय पिने के बहाने किसी ना किसी काम से निकलता रहता |बन्सीवाले तेरे खेल निराले है | धीरे धीरे मेरी उत्सुकता में बैचनी और जलन का रस घुलने लगा | कोई भी उससे बात करता तो मन में टीस होती |दिल को समझना पड़ता कि किसी भी लड़के से उसकी दोस्ती नहीं हो सकती सिवाए मेरे बल्कि मेरे अलावा कोई उसके काबिल हीं नहीं है | दिन भर के कोलाहल के बाद कमरे पे लौट के प्यार वाले मीठे मीठे गीत सुनता |एक दिन ध्यान आया कि ऑफिस में हुवे जश्न में उसकी भी है तस्वीर है तब से रह रह के उसकी तस्वीर को देख लेता | कभी बेवजह हीं कुश हो जाता तो कभी बिना कारण हीं मन भारी हो जाता | मेरा दिल अब मेरा नहीं रह गया था | उस पर कोई और राज करने लगा था | मैं एक ऐसे रास्ते पर चल रहा था जिस पर अंगारें हीं अंगारें थे और आगे बढ़ने के साथ साथ उनकी की ताप बढती चली जा रही थी |
मैंने अपने दोस्त रमेश को सारी कहानी सुनाई |"यार मैं सोंच रहा हूँ क्योना पायल को एक इ मेल लिंखू |अगर वह जवाब देती है तो ठीक है वरना कोई बात नहीं | मेरी प्यार की कहानी काफी दिनों से एक मोड़ हीं पर अटकी पड़ी है आगे तो बढे |वह बोला " नहीं नहीं ऐसा मत करो |शांतनु रोज़ उससे ऑरकुट पर पायल के किसी दोस्त द्बारा भेजे गए एक स्क्रैप के लिए लड़ता रहता है |तुम्हारा इ मेल देख तो तूफ़ान मचा देगा | " "पर ये शांतनु है कौन ? " "उसका बॉय फ्रेंड " उसने एक लड़के के तरफ इशारा करते हुवे बोला | " शांतनु और पायल कॉलेज से हीं दोस्त है और इस कंपनी में भी दोनों ने साथ हीं ज्वाइन किया था |"
ह्रदय की एक एक धड़कन में लहू की जगह जहर समां गया था | मैं फिर अपने किस्मत को कोसने लगा | मैं उसके प्यार में इतना अँधा हो चूका था कि मुझे यह भी दिखाई नहीं दिया कि कोई और उसका प्यार है |उसकी स्वाभाविक हंसी को मैं प्यार का गीत समझ कर ना जाने क्या क्या सपने देखने लगा था | खुद को बहुत समझाने का प्रयास कि उसे भूल जाऊं पर रह रह के मन में यही ख्याल आता कि वो भी मुझसे थोड़ा हीं सही पर प्यार ज़रूर करती है | उसका मुझे देख कर शर्मा जाना इस बात का प्रतिक था | बहुत कोशिश कि मन उसकी तरफ से हट जाए पर जितना मैं उसे भूलने कि कोशिश करता उतना हीं याद आती |वक्त हर दर्द कि दवा है | सोंचा एक दो महीने में आकर्षण अपने आप कम जो जाएगा और मैं दर्द के सागर से उबर जाऊँगा पर ऐसा नहीं हुआ | रोज पायल और शांतनु को हंसते बोलते देखना और दिल को नया घाव लगाना जैसे आदत सी बन गई थी | २- ३ महीनें और निकल गए पर फिर भी जब मैं मोहपाश से न निकल सका तब आखिरकार इ मेल लिखने कि ठानी |
बात करने की हिम्मत तो थी सो बस इ मेल का हीं सहारा था | मैंने एक नयी आईडी बानायी और एक अच्छा सा मेल लिख कर भेज दिया कि मैं उससे दोस्ती करना चाहता हूँ |सोचा अगर कुछ बात हो गयी तो कह दूंगा कि ये इ मेल मेरा नहीं है किसी ने तुम्हारे साथ मज़ाक किया है |इ मेल भेजते वक्त बार बार रमेश की बातें याद आ रही थी पर मन में आया कि अगर किसी रिश्ते में साधारण मेल या स्क्रैप पर टूटने की नौबत आ जाये तो ऐसे रिश्ते को टूट हीं जाना चाहिए |
हर घंटे इ मेल खोल के देखता कि जवाब आया कि नहीं पर एक सप्ताह निकल गया कोई जवाब नहीं आया |उसकी खामोशी सब ब्यान कर रही थी और मैं था कि सब कुछ जानकर भी मानने को तैया नहीं था | एक दिन मैं जिद्द पे अड़ गया कि आज जवाब लेकर हीं रहूँगा |उसे बहुत देर तक घूरता रहा और ऐसा हीं शाम को आखिर जवाब आ हीं गया | "हमें आपकी दोस्ती मंजूर है पर कृपया करके उससे ज्यादा कुछ मत समझियेगा |" मेल पढ़ के बड़ी प्रसन्नता हुई |महीनो के सींचने के बाद बाग़ में फुल जो आने लगे थे |यह छोटा सा मेल अपने आप में बड़े मायने समेटे हुए था | मैंने आज तक उससे एक बार भी बात नहीं की थी | मेरा मौन व्रत जैसे वज्र सा हो गया था जिसे तोड़ना मुझे असंभव जान पड़ता था |
मैं रोज उसके सीट के पास जाता पर उससे बात करने के बजाये अगल बगल के लोंगो से बात करके लौट आता |लौट कर स्वयं को कोसता भी पर अगले दिन फिर वही करता | ऐसे हीं एक महीना निकल गया |शनिवार का दिन था |मैं कमरे में बैठा दीवारों और छत को घंटो निहारता हुआ सोच में डूबा था | मैं कितना कायर हूँ | एक लड़की तक से बात नहीं कर सकता जबकि उसने हामी भी भर दी है | मैंने दृढ प्रतिज्ञा ली कि सोमवार को हर हालत में उससे बात करूँगा और अपने बर्ताव के लिए मारी भी मांगूंगा |
सोमवार को ऑफिस नहीं आई | मंगलवार का दिन भी खाली गया |पूरा सप्ताह निकल गया पर उसका कोई खबर नहीं थी | मुझे अपने आप को साबित करना था कि मैं उतना भी कायर नहीं हूँ | जब वह अगले सप्ताह भी नहीं आई तो मैंने मेल लिखा |"
पायल ,
मैं आशंकित हूँ कि कहीं तुम्हारी तबियत तो खराब नहीं हो गयी है |पिछले १५ दिनों से तुम ऑफिस जो नहीं आई हो | तुम कहाँ हो ? तुमसे बात करने का बड़ा मन कर रहा है | तुम सोचोगी कि मैं भी अजीब हूँ जब तुम सामने थी तो कभी बात नहीं किया और अब बात करने के लिए बेताब हो रहा हूँ |पायल मैं मजबूर था | मैं डरता था कि मुझे बात करते देख शांतनु शायद तुमसे लड़ने ना लगे | मैं तुम्हे हमेशा खुश देखना चाहता हूँ पर मुझे ऐसा लगता है जैसे तुम्हारे चेहरे पर हमेशा एक हलकी सी वेदना छाई रहती है |पता नहीं ये सच है गलत | शायद मुझे यह पूछने का कोई हक़ नहीं फिर भी अगर तुम बता सकती तो मन को शांति मिलती |जल्दी आने की कोशिश करना |मुझे बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार रहेगा |
उसने जवाब में लिखा
रितेश मैंने कंपनी छोड़ दी है और अपने घर कोलकाता चली आई हूँ | शांतनु ने मेरा जीना हराम कर दिया था | बात इतनी बढ़ गयी कि पिताजी तक जा पहुंची और वे मुझे गुडगाँव आकर ले गए | मैं अब कभी नहीं आ सकती |
तुम्हारी दोस्त
पायल
यह पढ़ के सदमा सा लगा | मैं समझता था कि पायल और शांतनु में गहरा प्यार है और दोनों जल्द हीं शादी करने वाले है पर यहाँ तो बात कुछ और हीं थी | काश मैं उससे पहले बात कर लेता तो उसे जाने से रोक पाता | उसका कैरियर बर्बाद होने से रोक लेता | मेरा मन मुझे धिक्कारने लगा | छुट्टी हो चुकी थी | मैं भारी क़दमों से राह में पड़े पत्थरों को ठोकर मारता हुआ कमरे की तरफ बढ़ने लगा | रास्ते में इतनी धुल थी की जैसे में उसमे खो गया था | एक पत्थर से चोट लग गयी और अंगूठे से खून बहने लगा | अच्छा हुआ मुझे और भी बड़ी सजा मिलनी चाहिए |
मैं और जोर जोर से ठोकरें मारने लगा | खून से बने पग चिह्न सड़क पर नहीं मेरे दिल पर पड़ रहे थे | कई इ मेल लिखे मोबाइल नो ० माँगा पर कोई जवाब नहीं आया | मेरा इंतज़ार एक कभी न ख़त्म होने वाला इंतज़ार बन के रह गया था | इश्वर से बस यही प्रार्थना करता कि कोई भी उसकी जिन्दगी में आए पर मेरे जैसा कोई ना आये |पता नहीं वह किस हाल में होगी | घरवाले अब उसे शायद कभी नौकरी करने नहीं देंगे| पास होकर भी मैं उसके इतने पास नहीं था जितना कि अब हो गया हूँ | उसकी सिसकियों को सुन सकता हूँ | उसके घुटन को महसूस करके रह रह के गला रुंध जाता है |
Hindi Love Stories - Payal se to ghayal hona tha by Nishikant Tiwari
badhiya dost ..
ReplyDeletepayal ne ghayal karake chhoda
Bhut badhiya
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