Aab mai kaya kahu ?
हो जज़्बात जितने हैं दिल में, मेरे ही जैसे हैं वो बेज़ुबान
जो तुमसे मैं कहना न पाई, कहती हैं वो मेरी ख़ामोशियाँसुन सको तो सुनो वो जो मैंने कहा नहीं
सच तो है कहने को अब कुछ रहा नहीं
https://www.youtube.com/watch?v=49ZvZrWqgeY
हाँ , ये तो मुझे मालूम है कि,
तुम मुझे चाहते हो ,
पर क्या प्यार भी करते हो ?
देखती हूँ रोज़ उस पुलिया पर,
मेरा इंतज़ार भी करते हो ,
कभी बोलते - टोकते क्यों नहीं ?
क्यों मेरा और खुद का तिस्कार करते हो ?
तुमने मुझे बस पुलिया से गुजरते देखा ,
पर तुम्हे क्या पता मैं किस दौर से गुजर रही हूँ ,
मैं चलती कहीं, जाती कहीं हूँ ,
बस घंटो नदी को निहारने से प्यास नहीं बुझती ,
धूप कड़ी है,
तम्मनाएँ उड़ रही है भाप की तरह।,
काश, हम भी तंग दिल हो जाते,
आप की तरह !!
Pyar bhari kavita for boyfriend - Tang Dil by Nishikant Tiwari
for other Pyar bhari kavita (प्यार भरी कविता )
पत्नी नामक प्राणी भारत सहित पुरे विश्व में बहुतायत से पाई जाती है. प्राचीन समय में यह भोजन शाला में पायी जाती थी, लेकिन वर्तमान में यह शौपिंग मोल्स, सिनेमा व् रेस्तौरेंट्स के नजदीक विचरती हुई अधिक पायी जाती है. पहले इस प्रजाति में लम्बे बाल, सुन्दर आकृति व् पुरे वस्त्र प्रायः पाये जाते थे, लेकिनअब छोटे बाल, अतयन्त छोटे वस्त्र, कत्रिम श्वेत मुख, रक्त के सामान होठ सामान्य रूप से देखे जा सकते है. इनका मुख्य आहार पति नामक मूक प्राणी होता है. भारत में इन्हें धर्म पत्नी, भाग्यवती, लक्ष्मी आदि नामो से भी जाना जाता है.अधिक बोलना, अकारण झगड़ना, अति व्यय करना, इस प्रजाति के मुख्य लक्षणों में से है. हलाकि इस प्रजाति पर सम्पूर्ण अध्यन करना संभव नहीं है,किन्तु सामान्यतः इनके निम्न प्रकार होते है
१. सुशिल पत्नी - यह प्रजाति अब लुप्त हो चुकी है. इस प्रजाति के प्राणी सुशिल व् सहनशील होते थे और घरो में ज्यादा पाये जाते थे.
२. आक्रमक पत्नी - यह प्रजाति भारत सहित पुरे विश्व में बहुत अधिक मात्रा में पायी जाती है. ये अपनी आक्रामक शैली व् तेज प्रहार के लिए जानी जाती है.समय आने पर ये बेलन, झाड़ू व् चरण पादुका (जूते /चप्पल ) का उपयोग अधिक करती है.
३. झगडालू पत्नी - यह प्रजाति भी वर्तमान में सभी जगह पायी जाती है. इन्हें जॊर से बोलना व् झगडा करना अतंत्य पसंद होता है. इनका अधिकतर सामना "सास" नामक एक और अतंत्य खतरनाक प्राणी से होता है.
४. खर्चीली पत्नी - भारत जैसे गरीब देश में भी पत्नियों की ये प्रजाति निरर्न्तर बढती जा रही है. इनकी मुख्य आदतों में क्रेडिट कार्ड रखना, बिना सोचे-समझे खर्च करना और बिना जरूरत वस्तुए खरीदना है. इस प्रजाति के साथ पति नामक प्राणी को चप्पल पहने थका हुआ पीछे पीछे घूमते देखा जा सकता है.
५. नखरीली पत्नी - इस प्रजाति के प्राणी अधिकतर आयने के सामने देखी जाती है. इनके होठ रक्त के सामान लाल, नाख़ून बड़े बड़े, केश सतरंगी और चहरा श्वेतपाउडर से लीपा होता है. इन्हें भोजन शाला में जाना और काम करना नापसंदहोता है.
चेतावनी - पति नामक प्राणी के लिए इस प्रजाति के प्राणी अतंत्य खतरनाक होते है. इन्हें साड़ी, गिफ्ट्स, फ्लावर्स के द्वारा कुछ समय के लिए नियंत्रित किया जा सकता है | आवश्यकता पड़ने पर पत्नी जप का पाठ करें। इन्हे सुंदरी , अतिसुन्दरी ,जानू ,बेबी आदि नामों से बुलाएं और बहार शॉपिंग करा कर बढ़िया रेस्तरां में खाना खिला के प्रस्सन करें। इससे आपके जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी !!
Nishikant Tiwari
ऐसी कहाँ मेरी किस्मत
कि आपका प्यार हमें मिलता
बस इतनी सी है ख्वाइश
कि दीदार आपका मिलता |
ये नज़रे मिल जाए नज़रों से
ऐसी कैसे करे हम हिमाकत
छुप छुप कर देखते है
दिल पे इख्तियार नहीं होता |
बहुत चाहता हूँ मैं तुमको
अगर ये भी कोई खता है
तुम खुद जो उसे देती
हर उस सज़ा का इंतज़ार होता |
बेबस दिल है मेरा
नादान भी बड़ा है
नहीं जानता प्यार क्या है
कैसे इसका कारोबार होता |
रहम जो इस दिल पे करती
थोड़ा कम सजती - सँवरती
थाम लेता मैं इसको
ये न यूं बीमार होता |
मेरा इश्क़ इतना मासूम है
छुरी से जिस्म पर लिखता आपका नाम है
आती कभी जो मेरे महफ़िल
तुमको ऐतबार होता |
करम इतना सा मुझपे करती
भ्रम मेरा ये तोड़ देती
फिर घुट-घुट के यो न जीते
न तेरा इन्तजार होता !!
https://youtu.be/Y5wG8ekPJt0
गुण से, सौभाग्य से
रूप से ,अनुराग से
कभी कोयल सा गाके
कभी तितलियों सा पंख सजा के
हर वक्त बस तुझको रिझाया
ये मानकर कि जिंदगी
न तुम्हारे मिलने से पहले कभी शुरू हुई थी
और ना तुम्हारे जाने के बाद कभी होगी |
वो तेरी मिसरी सी भरी मिन्नते
जिसपे मैं बिना सोचे
सर्वष्य न्योछावर कर देती थी
समझ नहीं आता कि
मेरा भोलापन था या पागलपन
हाँ मुझे ये भी नहीं पता
कि तुमने ज्यादा पाया
कि मैंने ज्यादा खोया
पर मैं खुश थी ,बहुत खुश |
कभी बातें बनाते , कभी मुँह बिचकाते
कभी गले लगते , कभी सर टकराते
मेरे दिल से असीम प्यार फुट रहा था
और उसके इश्के दरिया में
मैं हमेशा डूबी रहती थी
कि एक दिन वो आया और बोला
हमारी बातें , मुलाकातें
बस दोस्ती थी , प्यार नहीं
तुम अच्छी हो मुझे इससे इनकार नहीं
पर मेरा प्यार कोई और है |
ये बोल कर वो चला गया
बिना मेरी कोई बात सुने
बिना सोचे कि मेरा क्या होगा
मै कैसे जिंऊगी , मैं कैसे रहूँगी
हर बार , बार बार
मेरे हीं साथ ऐसा क्यों होता है
ये मेरी किस्मत है या किसी की साजिश कौन जाने
वो कौन है जिसे हम हँसते हुए अच्छे नहीं लगते !!
द्वारा निशिकांत तिवारी
खुद मान जाती तो अच्छा | Hindi Romantic kavita for girlfriend
https://www.youtube.com/watch?v=Bd8BuEuYcTw&t=2s
बातों से जिसकी टीस सी होती है
उसी से रोज़ बातें करने को जी करता है
उसकी बेतुकी बातों में
जिंदगी के मायने ढूढंता फिरता हूँ
वो हर बार मुझसे मिलते है बेवजह
मैं हर मुलाकात की वजह ढूंढता फिरता हूँ |
उसकी आखें ज्यादा सुन्दर है या होठ
अभी तक तय नहीं कर पाया मैं
उसके हँसते गालों के गढ्ढों में
प्यार का भंवर ढूंढता फिरता हूँ |
हाँ , माना थोड़ी नखरीली है
पर क्या करूँ , मुझे मनाना भी तो नहीं आता
यूँ दिल तड़पाने से अच्छा
वो खुद मान जाती तो अच्छा !!
Hindi romantic poem - by Nishikant Tiwari
Aab mai kaya kahu ? हो जज़्बात जितने हैं दिल में, मेरे ही जैसे हैं वो बेज़ुबान जो तुमसे मैं कहना न पाई, कहती हैं वो मेरी ख़ामोशियाँ सुन स...