हम हँसते हुए अच्छे नहीं लगते | Dard bhari kavita by girlfriend
https://youtu.be/Y5wG8ekPJt0
गुण से, सौभाग्य से
रूप से ,अनुराग से
कभी कोयल सा गाके
कभी तितलियों सा पंख सजा के
हर वक्त बस तुझको रिझाया
ये मानकर कि जिंदगी
न तुम्हारे मिलने से पहले कभी शुरू हुई थी
और ना तुम्हारे जाने के बाद कभी होगी |
वो तेरी मिसरी सी भरी मिन्नते
जिसपे मैं बिना सोचे
सर्वष्य न्योछावर कर देती थी
समझ नहीं आता कि
मेरा भोलापन था या पागलपन
हाँ मुझे ये भी नहीं पता
कि तुमने ज्यादा पाया
कि मैंने ज्यादा खोया
पर मैं खुश थी ,बहुत खुश |
कभी बातें बनाते , कभी मुँह बिचकाते
कभी गले लगते , कभी सर टकराते
मेरे दिल से असीम प्यार फुट रहा था
और उसके इश्के दरिया में
मैं हमेशा डूबी रहती थी
कि एक दिन वो आया और बोला
हमारी बातें , मुलाकातें
बस दोस्ती थी , प्यार नहीं
तुम अच्छी हो मुझे इससे इनकार नहीं
पर मेरा प्यार कोई और है |
ये बोल कर वो चला गया
बिना मेरी कोई बात सुने
बिना सोचे कि मेरा क्या होगा
मै कैसे जिंऊगी , मैं कैसे रहूँगी
हर बार , बार बार
मेरे हीं साथ ऐसा क्यों होता है
ये मेरी किस्मत है या किसी की साजिश कौन जाने
वो कौन है जिसे हम हँसते हुए अच्छे नहीं लगते !!
द्वारा निशिकांत तिवारी
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