Skip to main content

एक समझौता कर लेता हूँ

जब याद करके तेरा उदास मुखड़ा हृदय फटने लगता है
और अपनी रिश्ते की अनिश्चिताओं में मन भटकने लगता है
काम करते करते ,सब के सामने जब आँखों में नमी सी उभरने लग जाती है
एक समझौता कर लेता हूँ
रोने का भी वक्त कहाँ ,दो चार आहें भर लेता हूँ |

थक कर जब तेरे कंधे पर सर रख के सोने का मन करता है
सब छोड़ जब तेरे पास आ जाने का मन करता है
जब तुम बिन जीवन का अर्थ और उद्देश्य धूमिल दिखाई पड़ते है
एक समझौता कर लेता हूँ
तू न सही ,तेरी तस्वीर को बांहों में भर लेता हूँ |

दिल को कितना समझाया पर जजबात नहीं बदलते
सब करके देखा ,हालात नहीं बदलते
जब बदल नहीं सकता इन हांथो की लकीरों को
एक समझौता कर लेता हूँ
डूब कर प्यालों में शाम बदल लेता हूँ |

तुम बिन कितना घर खाली, कितने हम अधूरे हैं
इन्टरनेट,फिल्मे,टीवी मन बहलाने के साधन तो बहुतेरे हैं
फिर भी अकेलेपन से जब जी घबराने लग जाता है
एक समझौता कर लेता हूँ
लोग कहे इसे पागलपन ,मैं आईने से बाते कर लेता हूँ |

Nishikant

Hindi Love Poem

Comments

  1. Its really very good and touching!

    ReplyDelete
  2. kitne najdik se samjha hai aapne jivan ke marm ko, kafi khubsoorat kavita likhi hai aapne

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम ...

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत...

टकला

रमेश भाई को जब तक हुए बाल बच्चे, उन्के सर के एक भी बाल नही बचे, कुछ बच्चे उन्हे टकला टकला कह कर चिढाते, तो कुछ सर पे मार के भाग जाते । सारे मुहल्ले मे किस्सा मश्हुर था, कि इन्के बाल यो ही नही उङॆ बल्की ऊङाए गये है, बेचारे पत्नी द्वारा बहुत सताए गये है, घर मे बीबी की डाट पडती, दफ़्तर मे बॉस देता धमकी, तुमसे मेरी बर्षॊ पुरानी यारी है, वर्ना काम मांगाने वालो मे आधी लड़किय़ाँ कुवाँरी है । जब दाढी बनवाने सैलून जाते ,नाई भी ईन पर चिल्लाते, ससुरजी भी कहते कि अगर तू शादी के पहले टकला हो जाता, तो हमारे दहेज़ का खर्चा बच जाता, जब वो बच्चो को स्कुल छोड़ने जाते , बच्चे ईन्हे अपना नौकर बताते, भाई आज के फैशन और खुबसुरती के ज़माने मे गंजा होना श्राप है, अब बच्चे कैसे बताँए कि टकला उन्का बाप है । एक सामाजिक संस्था तो यँहा तक कहती है, हर टकले को शादी करने से रोका जाए , कहीं ऐसा ना हो यह बिमारी पीढी दर पीढी फैलते फैलते, सारा संसार टकला हो जाये । ऊधर एक फिलोसोफर का कहना है , जिन्की सोंच गिरी हुई होती है उन्के बाल जल्दी गिर जाते है, ऐसे पतीतो को गोली मार देनी चाहिये , मुझे आशचर्य है वे खुद शर्म से क्यों नही मर ...