Ads 468x60px

Monday, January 2, 2012

हर बार मुझसे अब ये होता नहीं है

कितना भी यत्न कर लूं
टीस है जो कम होती नहीं है
रोता है रोम रोम मेरा
बस ये आँखें हैं जो रोती नहीं हैं |

रोज़ सोचता हूँ कि आज सोऊंगा चैन से
ओढ़ कर सपनों की चादर
पावँ हो गए है लम्बे मेरे
ये चादर भी पूरी होती नहीं है |

देख कर खुद को यकीं होता नहीं है
क्या से क्या हो गया मै ,क्या ये सही है ?
किस पर करूं ऐतबार मेरे यारों
कि अब तो खुद पे भी भरोसा होता नहीं है |

हाँ उसकी ख़ुशी में मेरी ख़ुशी है
बार बार ,हर बार मुझसे अब ये होता नहीं है
हाँ दिल ने मजबूर किया था प्यार हो गया
पर प्यार खुद कोई मज़बूरी तो नहीं है |

Nishikant Tiwari

Hindi Love Poems

2 comments:

  1. I have been reading the posts, and I pretty much agree with what Mary said.

    ReplyDelete

Aab mai kaya kahu ?  हो जज़्बात जितने हैं दिल में, मेरे ही जैसे हैं वो बेज़ुबान जो तुमसे मैं कहना न पाई, कहती हैं वो मेरी ख़ामोशियाँ सुन स...