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आज में सुनहरा कल


आओ इस गुमसुम सफ़र में हँसी का कोई पल ढूंढ लें
इस अंधेरे आज में सुनहरा कल ढूंढ लें,
दो आँसु भी टपके तो मोती बन के,
कोई तो ऐसी जगह ढूंढ लें,
माना कि भरोसा नहीं आपको मेरी वफ़ाओं पर,
पर पास आने की कोई तो वजह ढूंढ लें,
इस गुमसुम सफ़र में हँसी का कोई पल ढूंढ लें
इस अंधेरे आज में सुनहरा कल ढूंढ लें ।

Nishikant Tiwari

Comments

  1. Nishikant bhia,
    mujhe aapki kavita bahut achchhi lagti hai...
    Mai Khud kavitayen likhata esliye mai
    bhavnao ko thoda pahchan leta hoon
    really i love ur poems....
    http://www.dev-poetry.blogspot.com/

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  2. This is short but sweet poem.
    Chandu

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