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Monday, April 8, 2013

आओ सखी साथ एक शाम गुजारे

आओ सखी साथ एक शाम गुजारे
हरे नरम घास पर बैठे डूबते सूरज को देखे
अलसाए हुए बिना कुछ कहे एक दुसरे को घंटो निहारें
आओ सखी साथ एक शाम गुजारे |

फैसला ये तुमको करना हीं होगा आज
क्या तुम्हे भी मुझ पर है इतना नाज़
क्या हम भी तुम्हे लगते है इतने हीं प्यारे
आओ सखी साथ एक शाम गुजारे |

जिंदगी है एक सफ़र पर ठहराव तो चाहिए
गलियों से गुजारे कितने मगर अपना एक गाँव तो चाहिए
प्रेम की बस्ती हो किसी नदिया किनारे
आओ सखी साथ एक शाम गुजारे |

ये पल फिर नहीं आयेंगे बार-बार
हांथों में हाँथ डाल आज कर लो इकरार
या लाज के घुंघट से हीं कुछ तो करो इशारे
आओ सखी साथ एक शाम गुजारे |

अपना मुझे कभी तुमने कहा कि नहीं
क्या करूँ नादान हूँ ,कुछ समझता नहीं
सताओ न यूँ , ना सताके तुम
गुस्सा करो मुझसे रूठी रहो,नखरे सहूँ सभी मैं तुम्हारे
आओ सखी साथ एक शाम गुजारे |

Nishikant Tiwari - romantic hindi kavita 

Sunday, February 17, 2013

प्यार की मिठाई या मिठाई से प्यार !!

तुम मिले तो दिल मिले
नाच रहे है बल्ले बल्ले
जश्न मनाये आओ खाए मिल रसगुल्ले ।

जी जान से मुझपे मरती है
पर शक भी कितना करती है
जिसे समझ रही जलेबी असल में इमरती है ।

जिंदगी के सौ जंजाल सौ बखेड़े
रास्ते है कठिन टेढ़े मेढ़े
ऐसे में तेरे बोल लगते मथुरा के पेड़े ।

मुस्कुरा रही मंद मंद है
क्या कोई लल्लू आ गया पसंद है ?
या चुपके चुपके खा रही कलाकंद है |

आँख मेरी फिर भर आई
तूने जो की मुझसे बेवफाई
अकेले अकेले खा रही रसमलाई !

कंगले है सब,बस एक वही अमीर है
जिसकी ऐसी तक़दीर है
कि खाई तेरे हाथ की खीर है ।

खुशामद कितनी करू, क्या चाटू तलवा ?
कहा तो तू लड़की नहीं जलवा है जलवा
अब तो बता दे कहाँ छुपा रखा गाजर का हलवा !

बात मेरी कभी तो लो तुम सुन
लाए गुलाब, क्या करूँ मैं इससे दातुन ?
इससे तो अच्छा ले आते गुलाब जामुन ।

ना कोई गलती या बात बड़ी है
नाराज़ है ,आज फिर मुझपे बिगड़ी है
लाये माल पुआ ऊपर नहीं रबड़ी है ।

समझ रहा था इसको बुद्धू
झाँसे में आ गया रे गुड्डू
बहला फुसला के छीन ली मोतीचूर लड्डू ।

जान मेरी तू लाखो में एक है
जितनी सुन्दर दिल उतना ही नेक है
क्या कहूँ डोडा बर्फी या मिल्क केक है ।

उसे कातिल कहूँ या काजू कतली
गुजरिया है खोया गुजिया
बबुनिया मीठी जस बुनिया ।

मादक बड़ा ये मोदक है
मलाई है, लोग कहतें हैं माल आई है
सोहन हलवा है , उसके आते ही सब हल हुआ है।

एक दिन बोली, सुनो मेरे सोनू मेरे हमदम
आती है शरम फिर भी कहते है हम
तुम मेरे बालूशाही और मैं तेरी चम् चम् ।

शादी को हाँ कह दी कि आएगा बहुत मज़ा
बारात सजेगी,धूम मचेगी , बजेगा बैंड बाजा
सज के आयेंगे दुल्हे राजा साथ में सिलाव खाजा !!!!!!

By Nishikant Tiwari - Meethi Haasya Kavita

Aab mai kaya kahu ?  हो जज़्बात जितने हैं दिल में, मेरे ही जैसे हैं वो बेज़ुबान जो तुमसे मैं कहना न पाई, कहती हैं वो मेरी ख़ामोशियाँ सुन स...