रूठी तो कई बार थी मुझसे ,
पर इतना दर्द तो ना होता था ,
जिस प्यार की खातिर किये कितने समझौते ,
वो प्यार खुद में एक समझौता था |
दूर होके वो मुझसे कितनी खुश है ,
पहले तो यकीं नहीं होता था ,
टूटे सपनो की चीखें सोने नहीं देतीं ,
उसके अदाओं में खोया पहले भी कहाँ सोता था |
उस घर के आते हीं मेरे कदम तेज हो जाते हैं ,
जिसकी खिड़की पर मैं घंटों खड़ा होता था ,
संभाल लेता खुद को जब पहली बार उसे देखा था ,
पास मेरे बस वही एक मौका था |
Nishikant
पर इतना दर्द तो ना होता था ,
जिस प्यार की खातिर किये कितने समझौते ,
वो प्यार खुद में एक समझौता था |
दूर होके वो मुझसे कितनी खुश है ,
पहले तो यकीं नहीं होता था ,
टूटे सपनो की चीखें सोने नहीं देतीं ,
उसके अदाओं में खोया पहले भी कहाँ सोता था |
उस घर के आते हीं मेरे कदम तेज हो जाते हैं ,
जिसकी खिड़की पर मैं घंटों खड़ा होता था ,
संभाल लेता खुद को जब पहली बार उसे देखा था ,
पास मेरे बस वही एक मौका था |
Nishikant
very well said..
ReplyDeleteawesome.:-)
nic one... quite true...
ReplyDeletesir, i have created a similar blog
http://feel-ankthots.blogspot.in/
it wud be very kind if u could spare sometime for it.....
thnx
Hi,
ReplyDeleteI like your blog very much. I a fan of yours.Please keep writing .I have read your every single post.Your poems are so sweet, your girlfriend would so lucky.
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