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comedy poem - teen namune


 

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 Bewafai Hindi Poem - ना कोई प्यार , न कोई छलावा प्यार के हर रंग देखे मैंने पहले आँखों के टकराने से लेकर देह के टकराने तक और फिर विचारों के टकराने से लेकर पसंद के टकराने तक | उठना बैठना, खाना पीना, जागना सोना हर बात पे टोकना , प्यार हो भी सकता है पर वो प्यार जो उसे कभी था हीं नहीं सबको साबित करना चाहती है और इसी चक्कर में मज़ाक बन गईं है, प्यार की मीठी - मीठी बातें और तमाशा बन गया है हमारा रिश्ता जिसमें वो मदारी और मैं बन्दर बन नाच रहा !     उसने मुझे समझा, पढ़ा पर उपन्यास के पहले और आखरी पन्ने की तरह जो हमेशा खाली रहता है मैंने उसे चाहा पर उस मुट्ठी में बंद रेत की तरह जो धीरे धीरे कब मेरे हाथ से निकल गया पता हीं नहीं चला,मैं इसी गुमान में रहा कि वो मुझे खुद से भी ज्यादा प्रेम करती है प्रेम एक से नहीं सभी से करना चाहिए ऐसा उसने कहा था मुझे एक बार और उसके इस विचार से गर्वान्वित भी हुआ था कि कितनी सह्रदयी लड़की है पर अब वो प्रणय जिसे मैं परिणय की तरफ ले जाना चाहता था लोगों का परिहास, मेरा पागलपन और उसका पाखंड बन के रह गया है   नियत और नियति में फर्क होता है पर इस समय दोनों मेरे सा

अरमान जगाएं

इतना सोच समझ के कब तक चलेंगे खुद से बच के क्यों न फिर बेपरवाह हो जाएँ एक दूजे में फिर से खो जाएंं । थोड़ा इठला के शर्मा के थोड़ा मुस्कुरा गुनगुना के शिकायतों को तमाशा दिखाएँ मीठी यांदो को दावत पे बुलाएँ । बिखरी बांतो को समेट के बांधो गठरी जरा कास के  सफर बहुत है लम्बा कहीं गाँठ खुल न जाए । देखता है कौन छुप छुप के आज जाने ना पाये बच के उसे छेड़े गुदगुदाए , सताए उस अजनबी से नयन लड़ाए । ना समझ की बांते, ना आज कोई टोके शोर मचाएं तोड़ टांग सुरों के जलती रहीं मशाले, बुझ गए अरमान आज मशालों को बुझा के फिर से अरमान जगाएं । Nishikant Tiwari Hindi Love poem