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Showing posts from July, 2014

तीन नमूने

कॉलेज के नमूनो में था नंबर पहला,दूसरा व तीसरा गोबर के ढ़ेर से निकले ,झा,ठाकुर और मिसरा कॉलेज की माल तम्मना के लट देख मिसरा को डर लगता है ठाकुर को उसपे डायन चुड़ैल का असर लगता है ज्ञानी झा कहते है ई तो शहर का फैशन है क्या गाँव में नहीं रचाते मेहंदी,लगाते उबटन है ? जाने किस युग में अवतरित हुआ ये ब्रह्मचारी मिसरा कॉलेज की लड़की को कहता है नारी मूरख जेट के जमाने में चला रहा बैल गाड़ी आज दुशाशन मिल भी जाए, कहाँ मिलेगी खींचने को साड़ी माइक्रो पहन के कहती है मैं हूँ बड़ी शर्मीली अगर बेशर्म हो जाए तो पैंट हो जायेगी गीली  !! मिसरा रोज़ चंदन घीस रहा, भोलेनाथ आप से हो जाएँ बोले प्रभू -पर इस जमाने में पार्वती कहाँ से लाएं ? गलती से पड़ क्या गया स्वेता के सैंडल का हिल मिसरा के घायल हुए दोनों पाँव और दिल उसने हमदर्दी में बातें क्या कर ली दो - चार बटुक महाराज को हो गया उससे प्यार एक दिन तिलक लगा के बोल बड़ा दिल का हाल अच्छे हो पर अभी बच्चे हो सुन हुआ मुंह लाल ये सारे आशिक अपनी मर्दानगी कैसे जताते है क्या इसीलिए वे इन्हे अँधेरे कोने में ले जाते हैं ? सपना चूर हुआ,बेचारे म