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Showing posts from September, 2011

Hindi Love Stories

तुम कब बोलोगे मै इश्क को पहचानता नहीं

तुम कब बोलोगे (Hindi Love Stories)

मैं हर रोज़ की तरह ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर बरामदे में. खड़ी सड़क को निहार रही थी | मैं रोज़ ऐसा करती थी | इस भागम भाग भरी जिंदगी में यही वो कुछ पल होते थें जो मैं शांत भाव से गुजारती थी | बड़ा सुकून मिलता और जब मन पूरी तरह शांत हो जाता तो दिन भर का कार्यक्रम तय करती | आज जितनी ताजगी महसूस हो रही थी उतनी जाने कब से नहीं हुई थी | मैंने ऑफिस की गाड़ी के बजाय रिक्शा से ऑफिस जाने का फैसला किया | गुडगाँव में fortune 500 में से कम से कम २०० कम्पनियों के ऑफिस है फिर भी यहाँ रिक्शा चलना आम बात है | मुझे भी रिक्शा ढूढने में कोई परेशानी नहीं हुई | ऊँची ऊँची इमारतो के बीच से टूटे-फूटे रास्तो से गुजरते हुए ऐसा मालुम हो रहा था जैसे किसी ने धोती के उपर कोट पहन ली हो |जब तक रिक्शा गली से निकला नहीं था तब तक तो बड़ा अच्छा लगा पर मेन रोड पर आते हीं धूल ने सारे मेक उप का सत्यानाश कर दिया |अपने फैसले पर अफ़सोस हो रहा था पर क्या कर सकती थी | किसी तरह ऑफिस पहुंची | रोज़ की हीं तरह मैं शिखा को लेकर चौथे मंजिल पर गई जहाँ कैंटीन है | नास्ता करते हुए मैंने देखा कि एक लड़का मुझे घूर रहा है |जैसे हीं मैंने उसक