Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2011

Love letter to Payal

Dear Payel, I am feeling a bit uneasy to express myself but I am determined to do so. I can see the same uneasiness on your face but please be calm & cool while you go through this. I would like to open up my heart to you, but I may lack the skill, or I'm short for words, because my heart harbors so many good feelings towards you that the dictionary seems to short to express all this. When I saw you for the first time, I couldn¹t ever have imagined that your almost candid face, which holds a young and shy smile, was going to captivate me the way it did. We used to stand in lunch queue near each other and we used to look at each other very indifferently but one day your attention was caught my eyes leading me into the state of attraction, infatuation, bliss or whatever you say. It perhaps started around two months back and with time the attraction or infatuation has shaped into a respect, all because of your ability to be simple while being attractive. I can see sh

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम

आवाज़ मैं ना दूंगा (Hindi Love Stories)

स्नेहा, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ ! दोपहर का भोजन करके अभी बैठा हीं था कि नितिन का फोन आया | नितिन "हाय निशि कैसे हो ? बहुत दिनों से तुमसे बात नहीं हुई | सोचा क्यों न तुम्हारा हाल चाल ले लूँ |" "यह तो तुमने बहुत अच्छा किया नीतू ,मैं खुद हीं बहुत दिनों से तुमसे बात करने की सोच रहा था |" नितिन मेरे सबसे पुरानेदोस्तों में से एक था | मेरे स्कूल का दोस्त | प्यार से मैं उसे नीतू बुलाता था | नीतू हमारी हीं कक्षा की उस लड़की का नाम था जिसने पहली बार मेरे मासूम हृदय का हरण किया था | नितिन को पता था कि मैं उसे नीतू क्यों कहता हूँ पर उसने कभी ऐतराज नहीं किया | उसे भी मालुम था कि इस शब्द से मुझे कितना लगाव था | क्या हुआ जो नीतू से कभी कुछ कह नहीं पाया , कम से कम उसके नाम को जुबान पे ला के थोड़े देर के लिए हीं सही उन पुराणी यादों में खो तो सकता हूँ | नितिन -"यार बहुत दिन हुए तुमसे मिले हुए |" "आज्ञा कीजिये नीतूजी ,कहिये तो आज हीं मिलने आ जाऊं !" "तो फिर आ जाओ ना ,तुमसे बहुत सारी बातें करनी है | मैं बोला -"ठीक है मैं शाम को ओफीस के

प्यार का भ्रम (Hindi Love Stories)

इश्क में धोखा मिले या प्यार ये तो अपने अपने किस्मत की बात है | इस कम्बख्त इश्क ने अनगिनत लोगो को बर्बाद किया है | रोज़ बर्बादी के नए नए किस्से सुनते है फिर भी प्यार करना नहीं छोड़ते | आखिर क्यों ? कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे प्यार से प्यारी दुनिया में कोई चीज नहीं तो कभी यह सब एक झूठ ,छलावा मालूम पड़ता है | यह प्यार हीं है जो जानवर को इंसान बनता है और ये ही वक्त आने पर उसे हैवान बना देता है | तो कुल मिलकर नुक्सान हीं हुआ ना ,जानवर से हैवान बन गए | प्रकाश पार्क के बेंच पर बैठा यही सब सोच रहा था |अपने प्यार के सफ़र के हर एक पड़ाव को याद करके मंथन में लगा हुआ था |सौम्या जिसे वो आंठवी कक्षा से प्यार करता था ऐसा करेगी उसने सपने में भी नहीं सोचा था |उससे जुड़ी छोटी से छोटी याद आँखों से बड़ी बड़ी बूंदों को नीचे घास पर धकेले जा रही थी | उसके प्यार की शुरुआत तब हुई जब वो सत्य निकेतन के आठवी कक्षा में पड़ता था |हॉस्टल के कमरे में इसके साथ विपुल रहता था | वो पांचवी कक्षा में पड़ता था | विपुल के माता पिता अक्सर उसे मिलने आया करते थे |वे बड़े अछे लोग थे ,हर बार प्रकाश के लिए कुछ ना कुछ ज़रूर ला

मैं चाटवाला

मैं चाटवाला हर शाम यहीं, इसी चौराहे पर अपनी ठेला गाडी लाकर लगा देता हूँ | लोग आते है और मेरे बनाए स्वादिस्ट चाट का चटकारा लगाकर चले जाते मैं भी औरो की तरह एक मामूली चाटवाला होता अगर एक दिन वो ना आती जाने वो कौन थी ,ना जाने क्या नाम था उसका पहले दिन हीं बस देखते रह गए थे उसे उसके चहरे पर उठता खट्टा मीठा भाव जैसे एक लहर सी उठती थी और मेरे दिल से जो कि अब तक पत्थर का था टकरा कर मिटटी सा किये जाती थी | चाहे इसे खुद कि तारीफ़ कहें या जो भी मेरे हाथ का चाट खाने के बाद हर कोई दुबारा आता है ज़रूर वो भी अक्सर आती और सिर्फ मेरे ठेले पर हीं आती मैं जो दूसरों के जीवन में रस भरा करता था कोई मेरी भी जिंदगी में रस भरने लगा था बड़ा अफ़सोस हुआ था मुझे जब दसवीं पास करके भी चाट बेचना शुरू करना पड़ा था मुझे पर अब तो जिस नज़र से देखती मुझे खुद पे गर्व होने लगा था हाय वो खाते खाते कैसे लजा जाती थी हाँ पर जाते जाते अपनी हंसी जरुर छोड़ जाती थी क्या क्या सपने देखने लगा था मैं उसके बारे में मैं खुद सोच के शर्मा जाता हूँ | एक दिन उसे मिर्ची लगी ,बोली भैया पानी दीजिये मिर्ची उसे क्या ,मिर्ची तो मुझे लगी और बहुत तेज़

शालिनी को प्रेम पत्र

क्या सभी लड़के एक जैसे होते है ? शायद नहीं | पहले मैं भी यही सोचता था क्योंकिं मैं खुद को दूसरो से अलग मानता था |अपनी तारीफ़ कौन नहीं करता |मेरे अंदर वो छिछोरापन नहीं जो किसी भी लड़की को देखते हीं उछंक्रिलता पर उतर जाए |मैं सभी लड़कियों की इज्ज़त करता हूँ और शायद हीं कभी अपनी मर्यादा का उलंघन करता हूँ |यही सोच के सुमित ने मेरी आपसे जान-पहचान कराई थी |वह इतनी दूर अमेरिका में है और आप दिल्ली में |आपका ख्याल नहीं रख सकता तभी तो उसने मेरी आपसे दोस्ती कराई ताकि आपको कोई परेशानी या समस्या होतो आपकी मदद कर सकूँ | उसे मुझ पर पूरा भरोसा था और मुझे अपने आप पर भी लेकिन आपसे इतना घुल मिल जाने के बाद मेरा अपने आप से भरोसा उठने लगा है | अब मैं क्या कहूँ ,आपसे यह सब कहते हुए बड़ा संकोच हो रहा है पर कहना ज़रूरी है | धीरे-धीरे आपका नशा दिलोदिमाग पर इस तरह से छा गया है कि लाख नहीं चाह कर भी मन आपके बारे में हीं सोचता रहता है | आपके साथ बिताये एक-एक पल को रात रात भर जाग केर याद करता रहता हूँ |जब भी मोबाइल की घंटी बजती है ,लगता है आप हीं का फ़ोन है | आप कहा करती थी ना कोई भी लड़का आपका दोस्त बन कर नह

चुभन

थकी हारी दीवारों के उपर एक गीली गीली छत है हर शाम वही बैठ कर आँखे भिजाने की लत है सैकडों बार अँधेरे में भी पढ़ चूका हूँ मै जाने किस स्याही से वो लिख गई ख़त है बिखरी है चंपा कोई रख दे जरा उठाकर हाथ है मैले मेरे, बैठा हूँ चूल्हा जलाकर राख पोत ली हमने उनकी शाख बचाने की खातिर फिर भी हंस गई वो जाते जाते आइना दिखाकर |