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Showing posts from February, 2013

प्यार की मिठाई या मिठाई से प्यार !!

तुम मिले तो दिल मिले नाच रहे है बल्ले बल्ले जश्न मनाये आओ खाए मिल रसगुल्ले । जी जान से मुझपे मरती है पर शक भी कितना करती है जिसे समझ रही जलेबी असल में इमरती है । जिंदगी के सौ जंजाल सौ बखेड़े रास्ते है कठिन टेढ़े मेढ़े ऐसे में तेरे बोल लगते मथुरा के पेड़े । मुस्कुरा रही मंद मंद है क्या कोई लल्लू आ गया पसंद है ? या चुपके चुपके खा रही कलाकंद है | आँख मेरी फिर भर आई तूने जो की मुझसे बेवफाई अकेले अकेले खा रही रसमलाई ! कंगले है सब,बस एक वही अमीर है जिसकी ऐसी तक़दीर है कि खाई तेरे हाथ की खीर है । खुशामद कितनी करू, क्या चाटू तलवा ? कहा तो तू लड़की नहीं जलवा है जलवा अब तो बता दे कहाँ छुपा रखा गाजर का हलवा ! बात मेरी कभी तो लो तुम सुन लाए गुलाब, क्या करूँ मैं इससे दातुन ? इससे तो अच्छा ले आते गुलाब जामुन । ना कोई गलती या बात बड़ी है नाराज़ है ,आज फिर मुझपे बिगड़ी है लाये माल पुआ ऊपर नहीं रबड़ी है । समझ रहा था इसको बुद्धू झाँसे में आ गया रे गुड्डू बहला फुसला के छीन ली मोतीचूर लड्डू । जान मेरी तू लाखो में एक है जितनी सुन्दर दिल उतना ही नेक है क्या कहूँ डोडा बर्फी या मिल्क केक है । उसे कातिल कहूँ या ...