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Showing posts from July, 2012

बस एक मौका

रूठी तो कई बार थी मुझसे , पर इतना दर्द तो ना होता था , जिस प्यार की खातिर किये कितने समझौते , वो प्यार खुद में एक समझौता था | दूर होके वो मुझसे कितनी खुश है , पहले तो यकीं नहीं होता था , टूटे सपनो की चीखें सोने नहीं देतीं , उसके अदाओं में खोया पहले भी कहाँ सोता था | उस घर के आते हीं मेरे कदम तेज हो जाते हैं , जिसकी खिड़की पर मैं घंटों खड़ा होता था , संभाल लेता खुद को जब पहली बार उसे देखा था , पास मेरे बस वही एक मौका था | Nishikant