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Showing posts from August, 2009

Hindi comedy poem bhrahm bhoj

आप ने दिया इतना सम्मान कि याद करते हीं मुंह में आ जाता है पान अब तक नाच रहा है जिह्वा पर खीर का स्वाद सदा सुखी रहो है दरिद्र का आर्शीवाद | छोले ,पूरियाँ ,आचार वो रायता भूले कैसे पालक-पनीर का जायका पर क्या कहे हुआ कितना अफ़सोस था मन तो भरा नहीं ,पेट ठूस के हो गया ठोस था | टूट गया धर्म मेरा पहली बार इस भोज में ना बाँध के ले जा सका कुछ भी मैं संकोच में पर चिंता मत कीजिये हमारा कम हीं पाप से मुक्ति दिलाना है तो बस इतना बता दीजिये फिर कब भोज पे आना है | Nishikant Tiwari

दिल के टुकड़े

इन आँखों के सैलाब से दो बूंद पानी मांग लेते तुम्हे हक़ था मेरी जवानी मांग लेते जाते जाते इतना तो रहम किया होता कि मुझसे अपनी वो प्यार की निशानी मांग लेते Nishikant Tiwari