Skip to main content

प्यार का बलिदान


छू कर तेरे गालों को ,क्या मिला मुझे इनकी कोमलता छीन कर
बिखरा के कजरा आंसुओ से अब इन्हें और न मलिन कर
हर सदमे से उबर जाऊँगा ,सदा की तरह मेरा आज भी यकीन कर |

अपनी खुशियों का बलिदान देकर ,मात-पिता को खुश करने चली है
जीवन जितना जटिल है, उतनी ही तू भोली पगली है
इस वियोग में कितना तड़प रही है तू ,मेरे प्यार में भी जली है |

छीन कर स्वयं को मुझसे ,अपने आप से ही रूठी है
मुझसे बिछड़ने का अब गम नहीं ,तेरी बातें तेरी हंसी जितनी झूठी है
तू निकल गई है प्रीत की जाल से ,उंगली में फंस गई मेरी अंगूठी है !!

by Nishikant Tiwari-  hindi love poem pyaa ka balidaan

Comments

  1. Nice lines buddy ...
    i am into writing too, kindly join me on http://indianpoemsblog.blogspot.in/
    And plz comment on how did those lines made you feel

    thanks

    ReplyDelete
  2. Here’s Harivanshrai Bachchan’s “Jo Beet Gayi So Baat Gayi” set to tune. Please post it on your blog.
    http://youtu.be/SELv1o95qvc

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

 Bewafai Hindi Poem - ना कोई प्यार , न कोई छलावा प्यार के हर रंग देखे मैंने पहले आँखों के टकराने से लेकर देह के टकराने तक और फिर विचारों के टकराने से लेकर पसंद के टकराने तक | उठना बैठना, खाना पीना, जागना सोना हर बात पे टोकना , प्यार हो भी सकता है पर वो प्यार जो उसे कभी था हीं नहीं सबको साबित करना चाहती है और इसी चक्कर में मज़ाक बन गईं है, प्यार की मीठी - मीठी बातें और तमाशा बन गया है हमारा रिश्ता जिसमें वो मदारी और मैं बन्दर बन नाच रहा !     उसने मुझे समझा, पढ़ा पर उपन्यास के पहले और आखरी पन्ने की तरह जो हमेशा खाली रहता है मैंने उसे चाहा पर उस मुट्ठी में बंद रेत की तरह जो धीरे धीरे कब मेरे हाथ से निकल गया पता हीं नहीं चला,मैं इसी गुमान में रहा कि वो मुझे खुद से भी ज्यादा प्रेम करती है प्रेम एक से नहीं सभी से करना चाहिए ऐसा उसने कहा था मुझे एक बार और उसके इस विचार से गर्वान्वित भी हुआ था कि कितनी सह्रदयी लड़की है पर अब वो प्रणय जिसे मैं परिणय की तरफ ले जाना चाहता था लोगों का परिहास, मेरा पागलपन और उसका पाखंड बन के रह गया है   नियत और नियति में फर्क होता है पर इस समय दोनों मेरे सा

कविता की कहानी (Hindi Love Stories)

नभ को काले बादलों ने घेर लिया था | दिन भर की गर्मी के बाद मौसम थोड़ा ठंडा हो गया था | मैं हमेशा की तरह अपने छत पर संध्या भ्रमण कर रहा था | एकाएक तेज़ हवाएं चलने लगीं | पेडो से पत्ते टूट कर आकाश की तरफ चले जा रहे थे | मैं खुद भी को एक पत्ता समझ कर उड़ने जैसा आनंद ले रहा था | तेज़ हवाएं अब आंधी का रूप लें चुकी थी | अचानक कविता दौड़ते हुए अपने छत पर आई और तार से कपड़े उतरने लगी | यह उसका रोज़ का काम था | लेकिन ये क्या ? आज वो गई नहीं बल्कि छत के किनारे आकर मुझे घूरने लगी | कुछ कहना चाहती थी पर चुप हीं रही |मेरा तो आज जम कर भींगने का मन कर रहा था और अब तो वर्षा भी तेज होने लगी थी |मैं मयूर सा झूमता पानी की बूंदों से खेलने लगा | कविता अभी तक गयी नहीं थी |सारे सूखे कपड़े गिले हो चुके थे | वो अब भी वहीँ खड़े निहार रही थी मुझे | यहाँ जल वर्षा के साथ साथ शबनम की भी बारिश हो रही थी | दोनों को एक साथ सहन करना मेरे बस में नहीं था | दिल में एक तूफ़ान सा उठने लगा | मैं नीचे उतर आया | कई बार उसके हाव भाव से लगा कि शायद वह मुझे चाहती है और इशारे से अपने दिल की बात कह रही है पर मैं सदेव इसे अपना भ्रम

पायल से तो घायल होना हीं था (Hindi Love Stories)

कॉलेज से निकलते हीं मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में नौकरी मिल गयी |कॉलेज में बहुत सुन रखा था कि कंपनियों में एक से बढ़कर एक सुन्दर लड़कियां काम करती है |सोचा प्यार की नैया जो कॉलेज में पानी में तक उतर ना पायी थी उसे कंपनी में गहरे समुंदर तक ले जाऊँगा |मैं यहाँ आते हीं उस अप्सरा की खोज में लग गया जिसे इस कहानी की नायिका बनना था पर किस्मत ने यहाँ भी साथ नहीं दिया |कोई भी लड़की पसंद नहीं आई | जो प्यार नहीं करते वो लड़कियों की बातें करते है | मैं भी उनसे अलग नहीं हूँ | यहाँ कंपनी में मेरी कई लोगो से दोस्ती हो गयी थी और सबकी मेरी जैसी हीं स्थिति थी | जिस प्रकार कामसूत्र के रचयिता वात्स्यान ने नारी जाती को मोरनी ,हिरनी आदि भागो में विभक्त किया है वैसे हीं उनसे प्रेना पाकर हमने भी लड़कियों की कोडिंग स्कीम तैयार कर ली थी |हमने लड़कियों को चार भागो में बांटा १. वेरी गुड आईडिया २. गुड आईडिया ३. नोट अ बैड आईडिया ४. नोट अ आईडिया एट ऑल साथ हीं हमने सभी के पर्यावाची नाम भी रख दिए थे | उदाहरण के तौर पे मेरे सामने वाली लाइन में बैठी दो युवतियों का नाम हमने रूपमती और डबल बैटरी रखा था क्योकि एक बहुत