बिखरा के कजरा आंसुओ से अब इन्हें और न मलिन कर
हर सदमे से उबर जाऊँगा ,सदा की तरह मेरा आज भी यकीन कर |
अपनी खुशियों का बलिदान देकर ,मात-पिता को खुश करने चली है
जीवन जितना जटिल है, उतनी ही तू भोली पगली है
इस वियोग में कितना तड़प रही है तू ,मेरे प्यार में भी जली है |
छीन कर स्वयं को मुझसे ,अपने आप से ही रूठी है
मुझसे बिछड़ने का अब गम नहीं ,तेरी बातें तेरी हंसी जितनी झूठी है
तू निकल गई है प्रीत की जाल से ,उंगली में फंस गई मेरी अंगूठी है !!
by Nishikant Tiwari- hindi love poem pyaa ka balidaan
Nice lines buddy ...
ReplyDeletei am into writing too, kindly join me on http://indianpoemsblog.blogspot.in/
And plz comment on how did those lines made you feel
thanks
beautifully expressed :)
ReplyDeleteNyc
ReplyDeleteHere’s Harivanshrai Bachchan’s “Jo Beet Gayi So Baat Gayi” set to tune. Please post it on your blog.
ReplyDeletehttp://youtu.be/SELv1o95qvc