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Showing posts from April, 2008

ना कभी मिलने की एक और कसम खा लें हम

हर एक पल बेखबर है इश्क की परछाइयों से, गैर की गलियां झूम रही मेरे हीं शहनाईयों से, अब मुड़ कर कभी ना देखना, कि दामन मेरा कैसे भींज रहा आँसुओ की विदाईयों से, ना कभी मिलने की एक और कसम खा लें हम, ये हम नहीं हमारे दिल कह रहे हैं, देखो तो कितने खुश है सभी, जहाँ फूटती थी चिंगारियाँ वहाँ फूल खिल रहे है, रहने भी दो वो प्यार, वो सुहाना सफर, वो अनछुई मंजिले, तेरे वादे और ईरादे सब बेमाने लग रहे है, रास्ते बंद ना हुवे हो बेशक मगर, मेरी तम्नाओं के पग थक गये हें। Nishikant Tiwari