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Showing posts from 2014

मेरी याँदे

शाम सवेरे तेरे बांहों के घेरे , बन गए हैं दोनों जहाँ अब मेरे क्या मांगू ईश्वर से पा कर तुझे मैं क्या सबको मिलता है ऐसा दीवाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । चले जाते ऑफिस, कैसी ये मुश्किल तुम बिन कुछ में भी नहीं लगता दिल मेरे पास बैठो, छुट्टी आज ले लो हो रही बारिश,है मौसम कितना सुहाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । वो घर से निकला, हजार कपडे बदलना लबों पे लाली लगाना मिटाना इतरा के पूछना कैसी लग मैं रही हूँ आज फिर भूल गई नेल पालिश लगाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । बेसब्री से करती इतंजार, जल्दी आये शुक्रवार कुछ अच्छा बनाती ,ज्यादा ही आता प्यार धीमी रौशनी में फ़िल्म देखते देखते कभी नींबू पानी पीना कभी आइसक्रीम खाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । फूले गालों को खींचना , थपकियों से जगाना शनिवार इतवार कितना मुश्किल उठाना पांच मिनट बोल फिर से सो जाते भला कब तुम छोड़ोगे मुझको सताना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । बांतों ही बांतो में कभी जो बढ़ जातीं बातें रूठे रहते ,दिनों तक नहीं नज़र मिलाते मुझे रोता छोड़,मुँह फेर सो जाते क्या इतना मुश्किल था गले से लगाना फिर लौट आए

तीन नमूने

कॉलेज के नमूनो में था नंबर पहला,दूसरा व तीसरा गोबर के ढ़ेर से निकले ,झा,ठाकुर और मिसरा कॉलेज की माल तम्मना के लट देख मिसरा को डर लगता है ठाकुर को उसपे डायन चुड़ैल का असर लगता है ज्ञानी झा कहते है ई तो शहर का फैशन है क्या गाँव में नहीं रचाते मेहंदी,लगाते उबटन है ? जाने किस युग में अवतरित हुआ ये ब्रह्मचारी मिसरा कॉलेज की लड़की को कहता है नारी मूरख जेट के जमाने में चला रहा बैल गाड़ी आज दुशाशन मिल भी जाए, कहाँ मिलेगी खींचने को साड़ी माइक्रो पहन के कहती है मैं हूँ बड़ी शर्मीली अगर बेशर्म हो जाए तो पैंट हो जायेगी गीली  !! मिसरा रोज़ चंदन घीस रहा, भोलेनाथ आप से हो जाएँ बोले प्रभू -पर इस जमाने में पार्वती कहाँ से लाएं ? गलती से पड़ क्या गया स्वेता के सैंडल का हिल मिसरा के घायल हुए दोनों पाँव और दिल उसने हमदर्दी में बातें क्या कर ली दो - चार बटुक महाराज को हो गया उससे प्यार एक दिन तिलक लगा के बोल बड़ा दिल का हाल अच्छे हो पर अभी बच्चे हो सुन हुआ मुंह लाल ये सारे आशिक अपनी मर्दानगी कैसे जताते है क्या इसीलिए वे इन्हे अँधेरे कोने में ले जाते हैं ? सपना चूर हुआ,बेचारे म