Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2014

मेरी याँदे

शाम सवेरे तेरे बांहों के घेरे , बन गए हैं दोनों जहाँ अब मेरे क्या मांगू ईश्वर से पा कर तुझे मैं क्या सबको मिलता है ऐसा दीवाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । चले जाते ऑफिस, कैसी ये मुश्किल तुम बिन कुछ में भी नहीं लगता दिल मेरे पास बैठो, छुट्टी आज ले लो हो रही बारिश,है मौसम कितना सुहाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । वो घर से निकला, हजार कपडे बदलना लबों पे लाली लगाना मिटाना इतरा के पूछना कैसी लग मैं रही हूँ आज फिर भूल गई नेल पालिश लगाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । बेसब्री से करती इतंजार, जल्दी आये शुक्रवार कुछ अच्छा बनाती ,ज्यादा ही आता प्यार धीमी रौशनी में फ़िल्म देखते देखते कभी नींबू पानी पीना कभी आइसक्रीम खाना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । फूले गालों को खींचना , थपकियों से जगाना शनिवार इतवार कितना मुश्किल उठाना पांच मिनट बोल फिर से सो जाते भला कब तुम छोड़ोगे मुझको सताना फिर लौट आएगा वो गुजरा ज़माना । बांतों ही बांतो में कभी जो बढ़ जातीं बातें रूठे रहते ,दिनों तक नहीं नज़र मिलाते मुझे रोता छोड़,मुँह फेर सो जाते क्या इतना मुश्किल था गले से लगाना फिर लौट आए