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Showing posts from December, 2007

हम फिर मिलेंगे

फिर मिला देना हमें ऐ आसमान, अगर मिल जाए तुझको वक्त कहीं, कि अब उन्हें जाने से कैसे रोक लें हम, कि उनके आँसुओ पर भी हमारा हक नहीं । मेरी अनछुई हसरतें बन गई एक हसीन भ्रम तो क्या, ये दुरियाँ, मज़बुरियाँ फैली दूर तक सही, पर मुझे होश में आने से रोक ले कोई, कि अभी तक पहुँचे ख्वाबों के दहलीज तक नहीं । जो देखा सुना उसे सच मान बैठे,क्या करें, भला अपनी आँखों पर तो करता कोई शक नहीं, उसकी हँसी को नाम देने में अनमोल पल खो दिए, हर रिस्ते का कोई नाम हो,इसकी जरुरत तो नहीं । प्रेम की एक भींगी किरण ह्रिदय में मचलती तड़पती रह गई, खुद से थोड़ा नाराज़ और दुखी हूँ मैं क्यों लब मेरे खुले आज तक नही, छुरियों की धार से हाथ की रेखाएँ नही बदली जाती, जहाँ भी हो खुश रहो अगर फिर मुझे किसी से कोई शिकायत नही । Nishikant Tiwari

हम वो गुलाब है

हम वो गुलाब है जो टूट कर भी मुस्कान छोड़ जाते हैं, दुसरों के रिश्ते बनाते फिरते हैं और खुद तन्हा रह जाते हैं । दुनिया के प्रेम प्रसंगो में हम गुलाबों को टूटना हीं पड़ता है, और हमे देने वाले हर प्रेमी को झुकना हीं पड़ता है, कभी हमे फरमाइश कभी नुमाइश बना दिया, जी चाहा ज़ुल्फों में लगाया,जी चाहा सेज़ पे सज़ा दिया, मेरे तन को छेड़ कर , दीवाने कैसे मचल जाते हैं, दुसरों के रिश्ते बनाते फिरते हैं और खुद तन्हा रह जाते हैं । बात अभी इतनी होती तो क्या बात थी, पर अभी और भी काली होने वाली रात थी, मेरे अरमानों को कुचल कर इत्र बना दिया, और दिखावटी शिशियों में भर कर सजा दिया, हम मर कर भी साँसों में महक छोड़ जाते है, दुसरों के रिश्ते बनाते फिरते हैं और खुद तन्हा रह जाते हैं । Nishikant Tiwari