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Showing posts from August, 2007

किसकी सारी उम्मीदें हुई पूरी है

प्यार करता हूँ तुम्हे मेरी कमज़ोरी है, पर क्या करूँ जीने के लिए ज़रुरी है, हर डाल पर फूल खिले कोई ज़रुरी नहीं किसकी सारी उम्मीदें हुई पूरी है । . तेरे प्यार में हद से भी गुजर जाऊँ चाहे कुछ भी कहे ये ज़माना पर खुद की नज़रों में ना गिर जाऊँ मैं सच को कैसे मान लूँ सपना साँसें रोक भी लूँ तो कैसे रोकूँ दिल का धड़कना । . प्यार की डाली पे वफ़ा के फूल खिल ना सके तो क्या हुआ लाख चाह कर भी हम मिल ना सके तो क्या हुआ तेरी बातें,तेरा एहसास, तेरी याद तो है एक आस, एक दुआ ,एक फ़रियाद तो है जीने के लिए ये सहारे क्या कम होते है जिन्दगी में इसके सिवा भी कई गम होते हैं । Nishikant Tiwari

आगे ही आगे

आगे बढ़ पथिक तेरी रौशन है राहें , दूर कहीं बुला रहीं है फ़िर वही बाहें , रुकना क्या अब झुकना क्या , पर्वत आए या दरिया या मिले काटे मुझको . सांसे तेज और पैर लथपथ तो क्या , जीवन डगर पर पद चिह्न छोड़ते जाएंगे , पाएंगे जो पाना है जाएँगे जहाँ जाना है , अब ख़ुद पे भरोसा है मुझको . दिल के अरमान जगे हैं हम भी आगये आगे है , बांटने होठों की हँसी सबको , रात लम्बी तो क्या और काली तो क्या , बुला रहा है कल का सूरज मुझको . रास्ता लंबा तो क्या काम ज्यादा है , जिंदगी छोटी है बड़ा इरादा है , अब बैठने की फुर्सत कहाँ है मुझको , कैद करके नज़ारे उनको दिल में बसाके , बढ़ता हूँ आगे हीं आगे करता सलाम सबको , पकड़ के हाथ मेरा कुछ देर साथ चलो यारो , पर अब रुकने के लिए ना कहो मुझको Nishikant Tiwari

घड़ी देख कर

जब मैं पैदा हुआ लोग खुश होने से पहले भागे, समय नोट करने घड़ी देख कर, रोज़ पिताजी उठते थे घड़ी देख कर, दफ़तर जाते घड़ी देख कर, शाम को माँ बोलती तेरे पिताजी अभी तक नहीं आए घड़ी देख कर, पिताजी घर आते घड़ी देख कर, चाय पीते घड़ी देख कर, सामाचार सुनते घड़ी देख कर, खाना खाते घड़ी देख कर, और सोने भी जाते तो घड़ी देख कर । . मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो स्कुल जाने लगा घड़ी देख कर, लंच और छुट्टी होती घड़ी देख कर, एक दिन घर देर से पहुँचा तो माँ बोली इतनी देर कहाँ लगा दी घड़ी देख कर, मेरे पास तो घड़ी हीं नहीं है फिर घर कैसे आउँ घड़ी देख कर, मिल गई मुझे एक नई घड़ी, सभी खुश होते मुझे देख कर घड़ी घड़ी, पर मैं खुश होता भी तो घड़ी देख कर । . बड़ा हुआ रोज़ इन्टरभ्यू देने जाता घड़ी देख कर , नौकरी मिली भी तो आते जाते ट्रेनों की सुची बनानी थी घड़ी देख कर, बात शादी की चलाई गई शुभ घड़ी देख कर, और जब मण्डप में बैठा तो पण्डितजी बोले तेरी शादी भी शुरु होगी घड़ी देख कर , मेरी पत्नी कितनी भाग्यवान थी , जब आती ना थी देखने घड़ी तो परेशान कैसे होती घड़ी देख कर । . हर घड़ी मैं बेचैन रहता था, और बेचैन हो जाता घड़ी देख कर, मन बहलाने के लिए सिनेमा हाल गया, तो

हम आज भी अकेले है

उसके कदमों पे गिर जाता मैं इतना भी मज़बूर न था चाहता था बहुत उसे पर ये मेरे दिल को मंज़ूर ना था वफ़ा के बदले मिलती वफ़ा यह ज़माने का दस्तूर न था कल प्यार का मौसम था और आज भी चाहत के मेले है हम कल भी अकेले थे और आज भी अकेले है जब तुमने हीं ना समझा तो क्या करे हम गम जी लेंगे जैसे जीते आए हैं हम सीने पे वार सहे दिल पर ज़ख्म खाए हैं सारे अरमान बेच डाले फिर भी हार के आए हैं तु जो भी कहो जो भी करो सब तेरा करम हँसते रहें हैं हँसते रहेंगे चाहे कर लो जितने सितम वह कहती हैं अब कुछ भी नहीं है हम दोनो में फिर भी उसकी बाते क्यों चुभती हैं दिल के कोने कोने में प्यार में तेरे तन मन पर गिरी जाने कितनी बिजलियाँ प्यार की एक एक बूँद को तरसा जैसे पानी बिन मछलियाँ उसे बस साथ चाहिए था प्यार नहीं अच्छा हुआ दिल टूट गया अब किसी का इन्तज़ार नहीं मैं समझ पाता उसको इतना भी समझदार ना था उसकी चाहत एक ज़रुरत थी उसका प्यार प्यार ना था । Nishikant Tiwari

क्यों करे हम शिकवा

क्यों करे हम शिकवा गिले बहार से कि हम तो बहार को बाहर बंद करके रखते है जान जाएगी पर कोई जान नही पाएगा कि हम तो ऐसे मोहब्बत किया करते है आसुँओ से भर कर जाम पीते है अपने हीं नशे में झुमते गाते जीते है । . आप कुछ भी कहे पर हम ना मुँह खोलेंगे, कहते है दरवाज़े कि दीवारो के भी कान हुआ करते है पर हमने जब भी मुँह खोलना चाहा हवाएँ रुख बदलने लगती है और दूर हो जाता है आसमान निगाहें बच के निकलने लगती हैं । . अध जल गगरी छलकती है तो छलकने भी दो कहीं प्यास बुझ जाए किसी प्यासे की उस भरी गगरी से क्या जिसके रहते राही प्यास से मर जाते है । . आज न कोई बात होगी इत्तफाक की इन्सान वही जो इन्तहान में उतर जाता है दुश्मनों ने दोस्तों से सारे दाव सीखे है वह अपना क्या जो दिल को दुख ना देता है । . पड़ जाए तन पे कीचड़ पानी से धो लिया करते है पर मन के कीचड़ को आसुँओ से नहीं धोया करते है धोते है तो बस गालों के मैल को कुछ लोग तो वह भी नही किया करते है । . छोड़ जाते हैं पंछी घोसला पर तिनके नही बिखेरा करते है फिर शर्म से क्यों नहीं मर जाते वो लोग जो घर जलाया करते है । . कोई कुछ भी कहे कुछ फर्क कहाँ पड़ता है पड़ता है तो बस दिल

बेवफ़ाई धोखा नफ़रत

Select a poem below जिन्दगी की बेवफाई हम आज भी अकेले है एक नये सुबह का इन्तज़ार एक ठोकर लगाने आ जाते

पर्दा बेदर्दी

ये जो पर्दा है बेदर्दी जान ले लेगा, मैं प्यार करता हूँ उससे यह बात मेरे सिवा कोई जानता नहीं, अगर जाने तो जान ले लेगा, उसके आगे पीछे घूमते लोफ़र मुझे अच्छे नहीं लगते, अगर ये कह दूँ तो लोफ़र जान लेलेगा, ये जो रात की तनहाई हैं इसमें कितनी गहराई है, ये रात तो फिर भी कट जाएगी, पर उसकी एक परछाई जान लेलेगी, और जब आग में कूद पड़े तो जलने से डरना क्या, पर उसका दिल जलाना जान ले लेगा, ये जो पर्दा है बेदर्दी जान ले लेगा । . उसकी प्यारीं आँखे हैं मेरी दुश्मन, मैं जो छुप छुप के देखा करता हूँ उसको, ऐसे में आँखो का आँखो से मिल जाना जान ले लेगा, और जब नज़रें मिल हीं गईं हैं तो कुछ कह भी दो, यूँ तेरा मुँह फेर के पलके झपकाना जान ले लेगा, हम तो इसी इन्तज़ार में रहते है कि कब वह निकले बाहर, पर इस कड़ी धुप में कलि का निकलना और मुरझाना जान ले लेगा, कितना खुश होता हूँ मैं उसको चमकती चाँदनी में देख कर, पर रह रह कर चाँद का भी उतना हीं खुश होना जान ले लेगा, ये जो पर्दा है बेदर्दी जान ले लेगा । . हम उससे उलझने की हिम्मत भला कैसे करे , सिर्फ़ उसके बालों का उलझना जान ले लेगा, कोई कैसे भूल सकता हैं भला, उसका जवनी के उमंग म

प्यार बचपन का

रात बहुत हो चुकी है, पर आँखो में नींद नहीं है, कहती हैं उसका चेहरा देखे बिना सोना नहीं है, क्या करूँ मैं बड़ी मुश्किल घड़ी है, आफ़त मेरे सर पे खड़ी है, रात भर यूँ हीं बैठा रहा मैं, कैसे कह दूँ क्यों आखे सोई नहीं है । . सुबह जब मैं बस स्टाप पहुँचा बस जा चुकी थी, मेरी धड़कने मुझे हीं धिक्कार रहीं थी, तभी आई वो और रोने लगी, चलो मैं स्कुल छोड़ दूँ, कोई बात नहीं जो बस छुट गई, स्कुल उतर कर थाइक्यू बोली और हाथ मिलाया, क्या हम कहे की कितना मज़ा आया । . दिन भर उसके इन्तज़ार में धुप में खड़े रहे उसके प्यार में, पर छुट्टी हुई तो और जल गए हम, एक लड़के के साथ निकली वह बेशरम, एक दुजे के गले में था हाथ लगाया, दिल पर ऐसी बिजली गिरी की शाम तक होश ना आया, तभी खोजते खोजते पहुँचा मेरा भाई, बोला भैया जल्दी चलो मम्मी ने है तुम्हें फ़ौरन बुलाया । Nishikant Tiwari

जोगीड़ा

जोगी जोगी देख रे बबुआ, बड़का बना ई भोगी, मीरा मीरा जाप करे , श्याम ना इसे सुहावे, मंत्र जपे ना ध्यान करे, गीत प्रेम लीला के गावे, नारी देखो आगे आगे, काहे जोगीड़ा पीछे भागे, कहे कि देवी दर्शन भयो है, प्रेम सुधा बरसा दे । . वन वन काहे भटके रे मनवा चल नगरी में प्यारे मिली पुआ पूरी ठूँस ठूँस के पाँव पुजइहें हमारे घर घर जाके झुठा जोगीड़ा काहे माई माई चिल्लावे इ तो अपने बाप को डँसे निगोड़ा माई के बेच के खावे। . देख चोर जोगीड़ा के दाढी में तिनका रतिए रतिए खेत चर जाए छुप छुप चुगे दाना दुनका बड़का बड़का स्वांग भरे इ बड़का जाल बिछावे सब मुरख मिली फ़ँसे जब मन मन ताली बजावे सुन प्रशंसा बड़ तपसी के जोगीड़ा जल भून जाए नाम तो जपे आलोक निरंजन आ सब के परलोक पहुँचाए । . काम पड़न वाह जोगीड़ा गदहे के बाप बनाए आ काम हो जावे पर मारे दुलत्ती जोगीड़ा खुद गदहा बन जाए ओकरा मन में पाप पले ना संतन की बूटी गुण तो एक्को देखे ना भैया बस त्रुटि हीं त्रुटि समझ तू बबुआ इ जोगी का फेरा जोगी नहीं इ मनवा मेरा तेरा । Nishikant Tiwari

एक और मैं

कहीं ना कहीं एक और मैं हूँ, चाहे इस जहाँ में या उस जहाँ में, या सितारों के बीच किसी तीसरे जहाँ में, अनछुए अंधेरो में या जलते उजालों में, आशा में निराशा में, खुशी में या गम में, कहीं ना कहीं एक और मैं हूँ । . आज तक मैंने नहीं देखा है उसे, बस देखा है अपने आप को आइने में, कहीं दूर खड़ा वो मुझे पुकार रहा है प्यार से, पर आज तक नहीं मिल पाया हूँ अपने आप से, कभी ना कभी कहीं ना कहीं राह चलते, उससे मुलाकात ज़रुर होगी, क्योंकि मैं जानता हूँ कि, कहीं ना कहीं एक और मैं हूँ । Nishikant Tiwari

वाह रे होली

भांग की गोली खाए है सब के सब बौराए है, अपने गालों को खुद रगड़े , कहे कि उनसे रंग लगवाएँ है, कुछ भूत बने कुछ कीचड़ में नहाए है, पगला पगला कहे एक दुसरे को, खुद हीं सब पगलाए है । . उठा पटक, हो जाए गारा-गारी, अकेला है फेको नाले में, बाद में हो चाहे मारा मारी, फोड़ दो शीशे सभी घरो के, घूस जाओ जो ना निकले बाहर, कर दो ऐसा धूम धड़ाका, घर हो जाए नरक से बदतर । . सबके मुँह में पेंट पोतो , पिलाओ ज़बरदस्ती भाँग शराब, दो दिन तक घर ना पहुँचे हालत हो जाए इतनी खराब छिन लो सारे रंग बच्चों से, कर दो खूब पिटाई रंग दो उन सभी घरों को, हुई जिनकी नई पुताई। . अबीर के समय में भी रंग फेको, खराब कर दो नया कपड़ा, लाउड स्पीकर इतना तेज बजाओ, कि फट जाए कान का चदड़ा, इससे भी ना मन भरे, तो मार दो किसी को गोली, कोई बुरा कैसे मानेगा, अरे आज तो है होली !!! Nishikant Tiwari

परलोक में परिलोक

एक बार मैं मर कर परलोक गया परलोक क्या परिलोक गया देखा अप्सराएँ नाच रहीं है इन्द्र व अन्य देवगण सोमरस का पान कर रहे थे मै भी रुप रस का प्याला पीकर नाच उठा घूमते घूमते मुझे इन्द्र मिले बोले स्वर्ग में आपका स्वागत है तो कैसा लगा स्वर्ग ? अच्छा है पर धरती सा नहीं है । देखिए आप स्वर्ग का अपमान कर रहे है यहाँ अप्सराएँ है,सोम रस है,चारो ओर सुख का माहौल है वहाँ क्या है? मैं बोला - अप्सराएँ तो धरती पर इतनी है कि स्वर्ग में अटे हीं नहीं पता नहीं कब से एक हीं जैसा नृत्य और सगींत में डुबे हुए है धरती पर तो हर तीन महीने में फैशन बदल जाता है सोमरस छोड़िए वहाँ तो बियर, विस्की, शेम्पेन ,रम ,दारू और हाँ ताड़ी भी तो मिलती है स्वर्ग में सुख का नहीं भय का माहौल है आप दानवों को पराजित करने के लिए धरती से कुछ आधुनिक हथियार क्यों नहीं ले लेते । क्या आपने माँ के गोद में बैठ कर दुध भात खाया है ?- नहीं क्या आपकी माँ ने आपको लोरी गा के सुलाया है ?- नहीं क्या आपने लड़कियों को लड़को के वस्त्र में देखा है ?- नहीं क्या आपको मालूम है पहला प्यार क्या होता है ?- नहीं धरती पर तो चित्र तक चलते है प्यार से हम उसे सिनेमा कहते

नव योवना

दिल दुर हुवा , तीर पार लगे, मन मज़बूर हूआ वह यार लगे, सज सँवर जब सलोनी सज़नी चले शूल बन फूल पग धूल गिरे, कोई कैसे कुछ कहे उससे, देखते हीं रह जाए आँख खुले और मुँह फटे . इस कलि कली के कान्ती काया से, नर खो विवेक विस्मित बेसुध पड़े, झील झलक नयन नीर भरे, डोले नर , डूबे ना तरे, लाल लबो ने लील लिया सब सोम रस, नाच नशे में नर नरक गिरे, बहे बहार बस बात से उसके, गंगा गगरिया गम गमन करे . हरा ह्रिदय हाय हिरनी ने, हिला हिमालय हार गया जपे हरे हरे, रुप रस से राही राह भटके, रोग ऋतु रत सारी रात जगे, प्रेम प्रकाश बन प्रहरी आठ पहर पाठ करे, पल में पागल हो पण्डित, फिर भी पुलकित का प्रताप बढे !!! Nishikant Tiwari

comedy link

Comedy Poems टकला नया फैशन शादी के बाद बहुत कुछ होता है मच्छरजी महाराज पत्नी बनी सजनी दुगना मर्द सच्चा देश भक्त परलोक में परिलोक वाह रे होली घड़ी देख कर पवन भँवरा टकरार फुलझड़ियाँ झाँकी हिन्दुस्तान की फेर लड़कियों के नाम की मनका Hindi comedy poem bhrahm bhoj मैं निपढ मुर्ख बाल ब्रह्मचारी

List Of Love Poems by me

तुम‌ जॊ मुझॆ मिल गई हॊ तेरे हाथो मिट जाने इन्तज़ार खामोशी और बरसात की रात नव योवना आखिर कब तक प्यार बचपन का बड़ी खुबसुरत पर्दा बेदर्दी किसकी सारी उम्मीदें हुई पूरी है कोइ तो हमारा होता हम वो गुलाब है हम फिर मिलेंगे आज में सुनहरा कल है अगर ईश्क तो आँखो में उतर आने दे ।

सच्चा देश भक्त

खादी धोती खादी कुर्ता खादी रुमाल, खादी झोला खादी टोपी रौबदार चाल, बीच बाज़ार घूम रहे थे चाचाजी क्रांतीकारी, पहुँचे मिठाई की दुकान पर जब भुख लगी भारी, डाँट कर बोले- ये तुम मिठाई बना रहे हो ? कुछ खुद खा रहे हो कुछ मक्खियों को खिला रहे हो । . हलवाई - जब रहे आप लोगों की दुआएँ तो क्यों ना हम मिठाई खाए, और ये मक्खियाँ तो स्वतंत्र देश के प्राणी आजाद हैं, ईनके मिठाईयों पर बैठने से इनका और भी बढ जाता स्वाद है, तो आप हीं बताइए इसमें मेरा या फिर मक्खियों का क्या अपराध है, इससे पता चलता है कि मिठाईयाँ अच्छी बनी है, आप आए मेरे दुकान पर किस्मत के धनी है । . ये देखिए ये जलेबी ये बर्फ़ी ये लड्डू और ये रसमलाई है, तो कहिए जनाब क्या देख कर आपकी लार टपक आई है , बोले इसमें सबसे सस्ती कौन है, जनाब जलेबी पहले तो इसे गोल गोल घुमाओ , और खौलते तेल में पकाओ, फिर चासनी में डुबा-डुबा के निकालो औए मज़ा लेते जाओ , तभी टपक पड़ी चाचाजी की लार, और सारी जलेबियाँ हो गई बेकार । हलवाई बोला- अब तो आपको हीं सारी जलेबियाँ खानी पड़ेंगी, अगर ना खा पाए तो दो्गुनी किमत चुकानी पड़ेगी, क्योंकि अगर ना खा पाए तो यह राष्ट्रिय़ मिठाई का अपमान

आखिर कब तक

कब तक दिन के अधेंरे मेम मिलते रहेंगे आह भरते रहेंगे, एक दुसरे का नाम लेते रहेंगे, कब तक छुपते छुपाते गलियों से गुजरते रहेंगे, मुख बन्द रखेंगे पर आँखो से सब कुछ कहेंगे, कब तक गोद में सर रख कर ज़ुल्फ़ों से खेलते रहेंगे, एक दुसरे को जोश दिलाते रहेंगे पर खुद होश खोते रहेंगे । . ना मंजिल दिख रही है ना रास्ता बस तेरे प्यार का है वास्ता, कब तक इस वास्ते से दिल को बहलाते रहेंगे, खुद जख्म देंगे और मरहम लगाते रहेंगे, कब तक डाकिए को पाटाते रहेंगे, कागज़ के टुकड़ो को हवा में उड़ाते रहेंगे, सम्मा से दिल को जलाते रहेंगे सारे गम को धुँवा में उड़ाते रहेंगे । . कभी छुप जाती है चाँदनी खो जाती है डगर, कभी सूरज भी ढक जाता है बादलों से मगर, कब तक उन बादलों में खोते रहेंगे, बरसात बन कर रोते रहेंगे, कब तक दिल को समझाते रहेंगे, दिल फिर भी ना मानेगा और दुनिया में आग लागाते रहेंगे । Nishikant Tiwari

दुगना मर्द

एक दिन बोले मेरे दोस्त तू मर्द नही है, जो काम कर सकते है हम वो तू कर सकता नही है, हम सब ने है एक एक लड़की पटाई, पर तू अभी बच्चा है जा खा दुध मलाई, मैं बोला-तुम सब ने है एक एक लड़की पटाई मैं दो पटाउँगा, दुगना मर्द हूँ साबित कर के दिखलाऊँगा । सड़क किनारे एक लड़की जा रही थी, मैंने आव देखा न ताव बस दे फेखा दाँव, बोला-शायद आपका नाम रेखा है , लगता है आपको पहले भी कहीं देखा हैं, कहाँ ? पागलखाने में, मैं बोला-अच्छा तो आप भी वहीं थी, नही नही मैं अपने पिछले प्रेमी से मिलने गई थी सुन के उसकी बातों यारों खुद से कहा तुरन्त यहाँ से भागो । . फिर सिनेमा हाल के सामने एक दुसरी लड़की से हाथ मिलाया, और अपनी बदनसीबी का झुठा दुखड़ा कह सुनाया, बोली कहानी पुरी फ़िल्मी है पर इसमें क्लाइमेक्स नही है, मैं पूरी कहानी बनाती हूँ क्लाइमेक्स क्या होता है तुझको बताती हूँ, पहले धीरे से मुस्काई और फिर सैंडल उठाया, भागते भागते कलेजा पानी हो आया । . बेकार मैं घूम रहा था गली गली, मेरे घर के बगल में रहती थी एक सुन्दर कली, एक दिन देखते हीं उसे मैने हाथ हिलाया, पहले तो एक देखी फिर हँसी, मैं समझ गया कि लड़की फ़सी, देखकर मेरी चढती जवानी

पत्नी बनी सजनी

सजनी सजनी कहते कहते कितने लोग बुढाए, ना मिले सजने कबहूँ पत्नी गले पड़ जाए, तो सोंचे चलो पत्नी को हीं सजनी बनाए, प्रिए चलो किसी अनजान सी जगह पर लड़का लड़की बन के रहेंगे ... क़सम खा लो कुछ भी हो एक दुसरे को ना पति पत्नी कहेंगे, मैं तुझ पर दाने डालूँगा चक्कर तुझसे चलाउँगा, फ़साँ के तुमको प्यार के जाल में घर वापस लेकर आऊगाँ, बोली-हे नाथ आप जो कहेंगे वही होगी बात ।.... एक दिन टाइट जिंस पहन कर जैसे हीं निकली बाज़ार, सीटी मार के कितने आशिक पहुँच गए जताने प्यार, कोई कहे चल मैं तुझे सोने-चाँदी से सजा दूँ, तो कोई कहे चल मैं तुझे शहर घूमा दूँ, किसी ने कहा दिल तोड़ ना मेरा मैं हूँ बदनसीब, तो कोई कहे मैं सबसे हैंडसम हूँ आजा मेरे करीब ।.... पहले ने सोने सजाया तो दुसरे ने शहर घूमाया, तीसरे की दिल की बातें,चौथे से इश्क लड़ाया, पति हैरान परेशान खुद को बहुत समझाया, पर एक दिन हाथ पकड़ कर आइ लव यू बोल हीं आया सब समझे कि आवारा है कर दी खूब धुलाई, हाथ पाँव सब सूझ गए पकड़ ली चारपाई , ईधर ऊसने जाने कितने रंग बदले क्या क्या गुल खिलाया, एक दिन मोटर वाले के साथ भागते पाया ..... मेरी पत्नी भागी जा रही है, पकड़ो उसे मेरे यार

मच्छरजी महाराज

एक दिन बोला मच्छर, पढ लिख मैं भी हो गया हूँ साछर, तूने बहुत मस्ती की है, बहुत खुन बनाया है, अब मैं मौज़ करूँगा, तू बैठा रह मै तेरा खून पिऊँगा मैं बोला-अबे मच्छर हो कर मेरा खून पिएगा, ये तो हमारे हिन्दी फिल्मों के बड़े बड़े हिरो किया करते है, गाना गाकर खून पीने का मेरा उनीक तरीका है, अरे उन सब चेलो ने तो मुझसे ही सीखा है अपने औकात मेम रह , मच्छर होकर मुझसे जबान लड़ाता है, मुझे औकात सीखाता है , जानता नही यह मच्छरो का देश है, यहाँ एक एक आदमी पर सै सौ मच्छर नज़र आता है, इतने गोली बन्दूक चलते है,पर भला कोई मच्छर भी कभी मरता है, मरते हो तुम सब वह भी कुत्ते की मौत, मच्छर तो क्वाइल पर भी डांस किया करता है मच्छरजी महाराज मुझे माफ़ कीजिए, बदले में चाहे जितना खून साफ़ कीजिए, खून पीकर बोला मच्छर, थू यह तो बासी है, जरूर तू भी औरो का खून पीता है तभी तो फूल होकर गया हाथी है, ये तूम क्या बक रहे हो, लगता है आजकल मुँह नही धो रहे हो तुम्हे मालूम होना चाहिए मच्छरो के दाँत नही हुआ करते है, मुँह के गन्दे तो ईन्सान है तभी सुबह शाम ब्रश किया करते है, सुनो इस बार मैं चुनाव में खड़ा हो रहा हूँ, बस मलेरिया छाप पर ही मुह

शादी के बाद बहुत कुछ होता है

एक पल के लिए हँसता एक पल में रोता है, पल भर में जागता,पल भर के लिए सोता है, शादी के पहले कुछ कुछ होता था, शा़दी के बाद बहुत कुछ होता है । घर में घूसे तो उड़ जाए मेरी साँस, आ जाए अगर पास तो बिछ जाए मेरी लाश, इन माँ बेटी से हिटलर भी खा जाए मात, जाने कौन सा खाती है ये च्यवनप्राश, पर मुझे तो मिलती सुखी रोटी और चोखा है, शादी के पहले कुछ कुछ होता था, शा़दी के बाद बहुत कुछ होता है । बर्तन माँजना खाना पकाना, पोछा लगना , कपड़े धोना और पैर दबाना, आदमी शादी के पहले हीं आदमी रहता है, उसके बाद बैल ऊल्लू या गद्धा होता है, डारलिंग डारलिंग कहते थक गया तोता है, शादी के पहले कुछ कुछ होता था, शा़दी के बाद बहुत कुछ होता है । एक दिन सोते समय मैडमजी का पैर दबाते दबाते गर्दन दबाना चाहा, तभी उसने करवट फेरी और मेरी तीन हड्डियों का हो गया स्वाहा, दिल तो पहले हीं खो दिया था लगता है दिमाग भी अब खो दूँगा, तीन महिने बिस्तर पर पड़े पड़े जाने क्या कर बैठूँगा, मित्र सब समझा रहे कि जिन्दगी में सब कुछ होता है, पर यार शादी के पहले कुछ कुछ होता था शादी के बाद बहुत कुछ होता है । एक दिन अस्पताल आकर पत्नी बोली मुझे तलाक चाहिए,

नया फैशन

पान के छीटे जो पड़े बुरा ना मानिए ज़माना रंगीन है, इससे तो आप लग रहें, हसिनाओं से भी हसीन है, जहाँ खेली जाती है होली, यह वो सरज़मीन है, पान के छीटे जो पड़े बुरा ना मानिए ज़माना रंगीन है । लोग आपको देख कर ईष्या से जल जाएंगे नया फैसन समझ के इसे भी अपनाएंगे, फिर ड्रेस डिजाइनर में आपका नाम भी प्रचलित होगा, कौन मुर्ख आपको देख कर ना विचलित होगा, आप तो बेहतर थे हीं, पर इससे लग रहे और भी बेहतरीन है पान के छीटे जो पड़े बुरा ना मानिए ज़माना रंगीन है । Nishikant Tiwari

गोरी के बदनवा चक चक करेला

गोरी के बदनवा चक चक करेला देख के दिल्वा धक-धक करेला मरी ई बुढ़ुवा आज हाँफ-हाँफ भरेला गोरी के बदनवा चक चक करेला । कहाँ जातारू एतना सज धज के नचा द हमरा साथ आज नाच के कर आ करे द प्यार तनी मुहुवाँ से लार टप टप गिरेला गोरी के बदनवा चक चक करेला । तहरा जईसन ना केहू के गाल बा चढत जवानी अईसे जईसे चढत ई साल बा जे भी देखे इहे कहे माल बेमिसाल बा भड़क जाए ताऊ आ काका चुनरी तहार सरक-सरक गिरेला गोरी के बदनवा चक चक करेला । हमरा के ले ल साथ ना त ऐरा गैरा पकड़ ली तहार बहियाँ बहियाँ पकड़ के कही हम हीं तहार सईयाँ बजवादी शनईयाँ, ले के भागी मंदीरिया बियाह अरे करेला गोरी के बदनवा चक चक करेला । Nishikant Tiwari मुहँ के मुखौटा बना के घूमे गोरी मेला में जाके मुहँ के मुखौटा बना के घूमे गोरी मेला में जाके मुहँ में पाउडर एतना कि गाँव भर के लग जाए हमरा इ ना बुझाला कि एकह डिब्बा कईसे खप जाए लागेला अइसन कि आइल भूतनी मुहँ में धुरा लगा के मुहँ के मुखौटा बना के घूमे गोरी मेला में जाके । बलवा में अइसन-अइसन किलीप आ हेअबेंड कि देख के डर जाए हसबेंड ओठवा पे लाली एतना कि लगे आइल बिया खून पी के मुहँ के मुखौटा बना के घूमे गोरी मेला

Poems In English

A Lost Love (short story) . . . Is Love Blind ? ... .. . God when the dreams come true when the sky is full of stars and basket full of flowers we pray god and thank him BUT when night is dark and cold wind blowing when the emotions shrink to tears and face is gloomy when mornings are hopeless and days are painful we curse him WHY ? God can either be good or bad, how he can be both at a time just look into the eyes of a baby and you will get the answer all come in world with such innocent heart and we blend it with good or evil God represents that heart And i think now you can judge what he is ! Nishikant tiwari Meaning of why? Look at the river and think of fly Think of flow when birds move through sky Think why we are born and why we die If you are true to your heart and still can lie when we are able to differtiate between me and my If you know whom to say good morning and when to say good bye Think if he can do why can't I When you have answers to all above you can find succe

बड़ी खुबसुरत

बड़ी खुबसुरत लगती हो , लगती रहो, दिल जलाने के लिए दीवानों का यूँ हीं सजती सँवरती रहो, वो दिन कभी तो आएगा जब मुझ पर भी ईनायत होगी, यूँ हीं झूमती जवानी की मस्ती में रहो । प्यार की कोई मुरत कोई तस्वीर हो तुम, लगता है जैसे मेरी तकदीर हो तुम, मेरा दिल कबसे तेरे प्यार को प्यासा है, बन के घटा मेरे आँगन में बरसती रहो । संकोच करता हूँ बस यही मजबूरी है, वह भी डरती है,तभी तो दूरी है, प्यार इतना दूँगा जितना सागर मे पानी ना होगा, शर्त यह है कि बन के परी दिल के कस्ती में रहो । इतना ना आजमाओ की आजमाइश की चीज बन जाओ, सब तुम्हें देखे तुम नुमाइश की चीज बन जाओ, ऐसा ना हो कि ये दिन तुम पर हँसते हुए निकल जाएँ, और तुम तड़पती यादो की बसती में रहो । Nishikant Tiwari

स्वाभीमान

कब तक अपने आप को जलाते रहेंगे, खुद का तमशा बनाकर ताली बजाते रहेंगे, कि कोई हमें मजबूर नही कर सकता, हमें अपने आप से दूर नही कर सकता । कह दो ज़माने से कि हम नहीं लौटे पागलखाने से, कि कोई हमारे स्वाभिमान को चूर नहीं कए सकता, हमें अपने आप से दूर नही कर सकता । सपने तो हम देखते है लाखो हज़ारो के, पर सिर्फ़ आँसू बहाते है किनारो पे, बदनसीबी,बदहाली का मारा बता कर, बहला फ़ुसला कर ये काम क्रूर नहीं कर सकता है, हमें अपने आप से दूर नही कर सकता । कभी कभी ये दिल भी धोखा दे जाता है, अपनी बेईज्जती पर हँसता मुस्कुराता है, माना कि मनुष्य एक खिलौना है, पर ईस कहानी का कुछ तो अंत होना है, तो हमने दिल को समझा दिया है, कि कोई हमें बेईज्जत भरी नज़रो से घूर नही सकता , कि कोई हमें हमें अपने आप से दूर नही कर सकता । दिन हो या रात में ,अकेले में या बारात में, आकर भ्रम में या ज़ज़बात मे, मैंने खुद पे बहुत अत्याचार किए हैं, खुद अपनी नज़रो में गिरे है, जो मैने किया वो कोई शूर नहीं कर सकता, कि कोई हमें हमें अपने आप से दूर नही कर सकता । Nishikant Tiwari